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विकास दुबे एनकाउंटर पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, यूपी पुलिस ने कहा- फेंक एनकाउंटर नहीं था

यूपी पुलिस (UP Police) ने कहा- विकास दुबे (Vikas Dubey) एनकाउंटर मामले की तेलांगाना से तुलना ठीक नहीं, अगली सुनवाई 20 को- सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की गाईडलाइन्स व कानूनी प्रक्रिया का पालन हुआ- यूपी सरकार ने एनकाउंटर मामले में मजिस्ट्रेटी जांच का आदेश दिया-जांच के लिए न्यायिक व विशेष जांच दल का गठन किया- जल्द ही मामले में और भी तथ्य पेश होंगे

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लखनऊ

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Abhishek Gupta

Jul 17, 2020

UP Police

UP Police

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. कुख्यात अपराधी विकास दुबे (Vikas Dubey) के एनकाउंटर मामले में यूपी पुलिस (UP Police) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में शुक्रवार को अपना जवाब दाखिल किया। यूपी डीजीपी (UP DGP) ने एफिडेविट में कहा है कि हिस्ट्रीशीटर पांच लाख इनामी बदमाश विकास दुबे और उसके साथियों का एनकाउंटर कत्तई फेक नहीं था। इसलिए विकास दुबे एनकाउंटर मामले की तुलना तेलंगाना एनकाउंटर से नहीं की जा सकती। प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की गाईडलाइन्स व कानूनी प्रक्रिया के तहत ही इस मामले में कार्रवाई की है। समय मिलने पर जल्द ही मामले में और भी तथ्य पेश किए जाएंगे। इस प्रकरण में अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी।

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यूपी पुलिस ने दुबे समेत उसके गुर्गों को मार गिराए जाने संबंधी तथ्य सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को रखे। कोर्ट को बताया गया कि विकास दुबे व उसके गुर्गे दुर्दांत अपराधी थे। इन सभी के एनकांउटर को फर्जी कहना गलत है। यह मुठभेड़ फेक नहीं थी। यूपी पुलिस ने कहा कि एनकाउंटर सही थे। यूपी पुलिस ने कहा, तेलंगाना सरकार ने अपने यहां हुए एनकाउंटर मामले में मजिस्ट्रेटी जांच या न्यायिक आयोग का आदेश नहीं दिया था। जबकि, यूपी ने एक जांच आयोग और एक विशेष जांच दल का गठन किया है। गौरतलब है कि दिसंबर 2019 में तेलंगाना में हुए रेप कांड में चार आरोपियों का एनकाउंटर हुआ था। इन चारों आरोपियों पर महिला वेटेरनरी डॉक्टर के साथ रेप का आरोप था।

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कोर्ट कर सकता आयोग गठित-
विकास दुबे और उसके गुर्गे के एनकाउंटर मामले की सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में जांच सीबीआई, एनआइए या एसआइटी से करवाने की मांग की गई है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट से मामले की खुद निगरानी करने को कहा गया है। अब सोमवार, 20 जुलाई का मामले की अगली सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह संकेत दिए हैं कि इस मामले की जांच के लिए किसी आयोग का गठन किया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि वह इस मामले की हर रोज हो रही जांच के आधार पर निगरानी नहीं कर सकता है।