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कड़ी धूप में तंदूर जैसी तपती हैं रेलगाड़ियां, ज्यादातर रेलवे स्टेशनों पर पीने का पानी ही नहीं, देखें वीडियो

- पत्रिका उत्तर प्रदेश की टीम ने की रेलवे स्टेशनों की पड़ताल- रेलवे स्टेशनों पर पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं- पंखे हवा कम देते हैं और आवाज ज्यादा करते हैं- अब तक भीषण गर्मी की वजह से पांच रेलयात्रियों की मौत हो चुकी है

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लखनऊ

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Hariom Dwivedi

Jun 13, 2019

Indian Railway

कड़ी धूप में तंदूर जैसी तपती हैं रेलगाड़ियां, ज्यादातर रेलवे स्टेशनों पर पीने का पानी ही नहीं

पत्रिका एक्सक्लूसिव
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में बीते कई दिनों से भीषण गर्मी पड़ रही है। 45 पार पहुंचे पारे ने लोगों का घर से निकलना दूभर कर दिया है। हालांकि, गुरुवार को छाये बादलों की वजह से लोगों को कुछ राहत जरूर मिली, बावजूद इसके तापमान 35 डिग्री को पार कर गया। भले ही धूप नहीं निकली, लेकिन उमस भरी गर्मी ने लोगों को पसीने से तर कर दिया। इसमें सबसे ज्यादा शामत रेलयात्रियों की आई। अब तक भीषण गर्मी की वजह से पांच रेलयात्रियों की मौत हो चुकी है। सूबे के विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर पत्रिका टीम ने पड़ताल की तो चौंकाने वाली हकीकत सामने आई। तेज गर्मी से निपटने के लिए ट्रेन और प्लेटफार्म पर पानी जैसी बुनियादी सुविधा भी नदारद दिखी। भारतीय रेलवे की लम्बी दूरी की गाड़ियों में ही नहीं, बल्कि यात्री गाड़ियों में भी पीने के पानी की व्यवस्था नहीं मिली। अक्सर लखनऊ-कानुपर के बीच रेल यात्रा करने वाले लखनऊ के पंकज पांडेय कहते हैं कि कि कई बार सिग्नल न मिलने पर ट्रेन के कड़ी धूप में ऐसी जगह रोक दिया जाता है, जहां न पीने का पानी मिलता है और न ही गर्मी से राहत। 45 पार पारे में रेलगाड़ी तंदूर जैसी तपती है।

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पंखे हवा कम देते हैं और आवाज ज्यादा करते हैं
उन्नाव रेलवे स्टेशन पर राप्तीसागर सुपरफास्ट एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे जान मोहम्मद ने बताया कि स्लीपर क्लास के यात्रियों को भी डिब्बे के अंदर हवा नसीब नहीं होती है। अंदर लगे पंखे हवा कम देते हैं, आवाज ज्यादा करते हैं। गांधीनगर निवासी पुरुषोत्तम शुक्ला ने कहा कि जब बाहर का तापमान 50 डिग्री के आसपास हो तो कोच के अंदर रहने वाले यात्रियों के यात्रा की कल्पना करके रूह कांप जाती है। सबसे ज्यादा बुरा हाल तो बच्चों का होता है। एक और रेलयात्री अभिषेक ने बताया कि यात्रा के दौरान उनका अनुभव बहुत ही कड़वा है। स्लीपर क्लास कोच में बाहर की ताजी हवा यात्रियों को मिले इसके कोई भी उपाय नहीं किए गए, जबकि गाड़ी चलने के दौरान ठंडी ताजी हवा यात्रियों को मिले इसकी व्यवस्था रेल कोच में थोड़े से उपाय करके किए जा सकते हैं।

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इस स्टेशन पर हर दिन आते हैं 10-12 हजार रेलयात्री
दिल्ली हावड़ा रेल मार्ग के अति महत्वपूर्ण समझे जाने वाले उत्तर प्रदेश के इटावा जंक्शन स्टेशन पर रोजाना करीब 2 दर्जन रेलगाड़िया आती और जाती हैं। एक अनुमान के मुताबिक प्रतिदिन करीब 10 से 12 हजार के आसपास रेल यात्रियों को आना-जाना लगा रहता है। इसके बावजूद पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी उपलब्ध न होना रेल यात्रियों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है। यहां कहने को तो 37 वाटर बूथ लगे हैं, लेकिन इनमें से 20 तो ऐसे हैं जिनमें टोटियां ही नहीं लगी है। रेल विभाग की तरफ से स्टेशन पर 9 वाटर कूलर लगाए गए हैं, जिनमें से तीन वाटर कूलर खराब हैं। इनको दुरस्त करने के लिए स्थानीय रेलवे की ओर से कई बार अपील की, लेकिन अफसरों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। इटावा रेलवे स्टेशन पर अगर समाज सेवी संस्थाओं की ओर से पीने के पानी का इंतजाम रेल यात्रियों के लिए न किया जाए तो भीषण गर्मी में रेलयात्रियों की पीने का पानी भी नहीं मिले।

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