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लखनऊ

बुंदेलखंड में पानी के लिए हाहाकार, पेयजल के लिए बवाल की आशंका

बुंदेलखंड में गर्मी की दस्तक भर से पेयजल संकट ने भयावह रूप ले लिया है।

लखनऊMar 31, 2018 / 01:11 pm

Laxmi Narayan Sharma

water crisis
लखनऊ. बुंदेलखंड में गर्मी की दस्तक भर से पेयजल संकट ने भयावह रूप ले लिया है। बांदा, चित्रकूट और महोबा का कई हिस्सों में पेयजल योजनाएं धड़ाम हो गई हैं। पेयजल संकट से निपटने के लिए पिछले तीन महीने से चल रही कागजी तैयारियों की पोल खुलने लगी हैं। कई गाँव में जहाँ पानी के लिए हाहाकार मचा है तो कई जगहों पर लोगों को पीने के पानी के लिए लम्बी दूरी का सफर तय करना पड़ रहा है। करोड़ों रूपये खर्च कर शुरू की गई ग्रामीण पेयजल परियोजनाओं ने दम तोड़ दिया है और ग्रामीणों को किसी तरह की राहत पहुंचाने की कोशिशें फिलहाल नाकाम साबित हो रही हैं।
करोड़ों की पेयजल योजनाएं बंद

बुंदेलखंड के ग्रामीण क्षेत्रों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए बनाई गई कई पेयजल योजनाएं पूरी तरह बंद हो चुकी हैं। हमीरपुर में पचारा ग्राम पेयजल परियोजना, महोबा की बरीपुरा पेयजल परियोजना, चित्रकूट की मझगंवा मुस्तकिल पेयजल परियोजना सहित अन्य जनपदों के कई गाँव की करोड़ों रूपये लागत वाली परियोजनाएं पूरी तरह ठप हो चुकी हैं और ग्रामीणों को किसी तरह का लाभ नहीं मिल पा रहा। बांदा की कोर्रही पेयजल योजना, महोबा की अजनर पेयजल योजना, हमीरपुर की छानीबुजुर्ग पेयजल योजना, चित्रकूट की नांदिन कर्मियान पेयजल योजना जैसी कई योजनाएं हैं जिन पर करोड़ों रूपये खर्च होने के बाद भी लोगों को पर्याप्त राहत नहीं मिल पा रही है।
खरीदना पड़ता है पानी

बुंदेलखंड के पेयजल संकट की स्थिति की अंदाजा झाँसी के रक्सा कस्बे के लोगों की परेशानी से लगाया जा सकता है। इस क्षेत्र को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए करोड़ों रूपये खर्च किये गए लेकिन अभी भी यहाँ के लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है। हालत यह है कि इस क्षेत्र में कुछ लोग प्राइवेट टैंकरों की मदद से लोगों को पानी उपलब्ध कराते हैं और इसके एवज में रूपये वसूलते हैं। सरकार इस क्षेत्र में पानी आपूर्ति और टैंकरों को भेजने के दावे करती है लेकिन यहाँ के लोगो सरकारी दावों की पोल खोलते नजर आते हैं। इस इलाके से सटे कई गाँव के लोगों को काफी दूर दराज से पानी भरकर लाना पड़ता है।
कानून-व्यवस्था पर असर

बुंदेलखंड के पेयजल का संकट यहाँ की कानून-व्यवस्था पर भी असर डालता रहा है। झांसी में पानी के लिए हिंसक झड़प और हत्या तक की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। दो साल पहले झांसी पुलिस ने एक रिपोर्ट तैयार की थी जिसमें पेयजल संकट के कारण 50 से अधिक गाँव में कानून-व्यवस्था के ख़राब होने की आशंका जताई गई थी। इस रिपोर्ट में साफ़ तौर पर जल निगम और जल संस्थान को पेयजल योजनाओं में लापरवाही करने का आरोप लगाया गया था। साथ ही रिपोर्ट के माध्यम से झांसी जिला प्रशासन से सम्बंधित गाँव में पेयजल व्यवस्था दुरुस्त करने की भी सिफारिश की गई थी।
अफसरों का व्यवस्थाएं चौकस होने का दावा

बुंदेलखंड भले ही पानी के लिए हाहाकार कर रहा हो लेकिन सरकारी फाइलों में लोगों को खूब पानी मिल रहा है। पिछले तीन महीनें से बुंदेलखंड के सभी जनपदों में पेयजल संकट को लेकर बैठकें जारी हैं। जल निगम और जल संस्थान सहित विकास योजनाओं से जुड़े अफसरों को तालमेल बिठाकर ग्रामीण क्षेत्रों में पीने का पानी मुहैया कराने के निर्देश दिए जा रहे हैं। सरकारी स्तर पर दावा किया जा रहा है कि जहाँ पानी का संकट है, वहां टैंकरों के माध्यम से पानी उपलब्ध कराया जा रहा है लेकिन सरकारी दावों से उलट स्थिति यह है कि बुंदेलखंड इस समय जल के लिए हाहाकार कर रहा है।

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