ये भी पढ़ें- श्रीराम मूर्ति के निर्माण के बाद बदल जाएगा ऊंची प्रतिमाओं का क्रम, यह कहलाएंगे दुनिया के tallest statues ३6 घंटे में हो सकते हैं दिल्ली जैसे हालात- पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. भरतराज सिंह ने कहा है कि राजधानी लखनऊ और प्रदूषण और बढ़ेगा। जिससे अगले 36 घंटों में दिल्ली जैसे हालात होने की आशंका है। उन्होंने आगे बताया कि पीएम 2.5 होने की स्थिति बच्चों के लिए बेहद हानिकारक है। यदि इसके कण एक बार बच्चों के फेफड़े में चले गए तो बाहर नहीं निकल पाएंगे और आगे चलकर उन्हें दमा की बीमारी हो सकती है।
ये भी पढ़ें- आज के सबसे दर्दनाक हादसे में 5 लोगों की हुई मौत, पूरे जिले में मचा कोहराम, सीएम योगी ने तुरंत किया बहुत बड़ा ऐलान घर में लगाए यह पौधे, प्रदूषण से ऐसे निपटें-
वैज्ञानिकों ने ऐसे प्रदूषण से निपटने की शुरूआत घर से ही करने की अपील की है। इसके तहत घर के लान या गमलों में वायु प्रदूषण को कम करने में सहायक पौधे लगाने की अपील की है। इसके साथ ही वैक्यूम क्लीनर व एअर प्यूरीफायर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके साथ ही अच्छे खानपान व भांप लेकर भी इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। बीरबल साहनी पुरावनस्पति संस्थान के अनुसंधानकर्ता व पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के उप सचिव डा. दीपक कोहली ने जन सामान्य से वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने की शुरुआत अपने घर से ही करने को कहा है। एरीका पाम, मनी प्लांट, स्नेक प्लांट, ड्रेसीना आदि पौधे घर की वायु को शुद्ध करने में सहायक होते हैं। प्रदूषकों के विषैले प्रभाव के कारण दमा, फेफड़े का कैसर व सिर दर्द आदि बीमारियां होती हैं। स्माग से सिरदर्द और माइग्रेन का दौरा भी पड़ सकता है। इसके अलावा लंबे समय तक प्रदूषित वातावरण के संपर्क में रहने से खुजली और त्वचा का कैंसर भी हो सकता है।
हार्ट अटैक और स्ट्रोक की आशंका बढ़ सकती है- उन्होंने आगे कहा कि यह प्रदूषण प्रमुख रूप से सांस के पुराने मरीजों, बच्चों, वृद्धों, धूम्रपान करने वालों और गर्भवती महिलाओं के लिए खास तौर पर हानिकारक होता है। यह स्माग सांस की अनेक बीमारियों का कारक है। जैसे दमा और सीओपीडी (क्रानिक आब्स्ट्रक्टिल पल्मोनरी डिसीज) आदि। इससे आंखों में जलन होना, नेत्रों में खुजली की समस्या, आंखों में लालिमा आना, आंखों से पानी बहना व देखने में दिक्कत हो सकती है। स्माग का हृदय और मस्तिष्क की धमनियों पर इतना प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है कि इसके कारण हार्ट अटैक और स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है। स्माग में मिश्रित प्रदूषण तत्वों से हृदय की धमनियों में संकरापन आ सकता है और रक्त गाढ़ा हो जाता है। इस वजह से रक्त का थक्का बनने लगता है, जो हार्ट अटैक का कारण बन सकता है। स्माग से रक्त चाप बढ़ सकता है, कोरोनरी आर्टरी डिसीज और एंजाइना होने का जोखिम भी बढ़ जाता है।
स्माग से ऐसे करें बचाव-
1- सुबह जॉगिंग करने न जाएं। हो सके तो घर पर ही व्यायाम करें।
2- जब भी घर से बाहर निकलें तो एन-९५ मास्क का प्रयोग करें। यह मास्क 0.3 माइक्रान से छोटे लगभग 95 प्रतिशत कणों को फिल्टर कर देता है।
3- ऐसे फलों और सब्जियों को अपने आहार में स्थान देना चाहिए जो विटामिन सी, मैग्नीशियम, ओमेगा 3 फैटी ऐसिड से भरपूर हों। ऐसे भोज्य पदार्थ संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं एवं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को सशक्त बनाते हैं।
4-किचन में खाना बनाते समय एग्जास्ट ऑन रखें। किचन चिमनी के एयर फिल्टर को समय-समय पर बदलें।
5-शाम को घर पहुँचकर गर्म पानी से भाप लें, जो सांस की नली को साफ करने का काम करती है।
6-कृत्रिम वर्षा और पानी के छिड़काव से भी स्माग की समस्या से निजात पाया जा सकता है।
1- सुबह जॉगिंग करने न जाएं। हो सके तो घर पर ही व्यायाम करें।
2- जब भी घर से बाहर निकलें तो एन-९५ मास्क का प्रयोग करें। यह मास्क 0.3 माइक्रान से छोटे लगभग 95 प्रतिशत कणों को फिल्टर कर देता है।
3- ऐसे फलों और सब्जियों को अपने आहार में स्थान देना चाहिए जो विटामिन सी, मैग्नीशियम, ओमेगा 3 फैटी ऐसिड से भरपूर हों। ऐसे भोज्य पदार्थ संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं एवं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को सशक्त बनाते हैं।
4-किचन में खाना बनाते समय एग्जास्ट ऑन रखें। किचन चिमनी के एयर फिल्टर को समय-समय पर बदलें।
5-शाम को घर पहुँचकर गर्म पानी से भाप लें, जो सांस की नली को साफ करने का काम करती है।
6-कृत्रिम वर्षा और पानी के छिड़काव से भी स्माग की समस्या से निजात पाया जा सकता है।
7-सार्वजनिक परिवहन का उपयोग और पैदल चल कर ड्राइविंग को सीमित करें।