script…तो इन पांच कारणों के चलते मायावती ने लिया यू-टर्न, बीजेपी के पक्ष में कर रहीं बयानबाजी | Why BSP Supremo Mayawati stands with mayawati | Patrika News
लखनऊ

…तो इन पांच कारणों के चलते मायावती ने लिया यू-टर्न, बीजेपी के पक्ष में कर रहीं बयानबाजी

– बसपा सुप्रीमो मायावती के एक और पॉलिटिकल दांव ने सबको चौंका दिया है- जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर बीजेपी का किया समर्थन, विपक्षी दलों को दी नसीहत- राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, पांच कारणों की वजह से बदली मायावती की रणनीति

लखनऊAug 26, 2019 / 06:37 pm

Hariom Dwivedi

BSP Supremo Mayawati

लोकसभा चुनाव के बाद बहुजन समाज पार्टी की रणनीति में बदलाव साफ-साफ दिख रहा है

लखनऊ. बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) के एक और पॉलिटिकल दांव ने सबको चौंका दिया है। इन दिनों वह भाजपा (BJP) के पक्ष में बयान दे रही हैं। सोमवार को बसपा प्रमुख ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाने को लेकर बीजेपी का समर्थन करते हुए कांग्रेस (Congress) सहित अन्य विपक्षी दलों को नसीहत दी है। जबकि, अभी तक वह हमेशा बीजेपी के हर फैसले का विरोध करती नजर आती हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो राजनीति की माहिर खिलाड़ी मायावती यूं ही नहीं बीजेपी के पक्ष में बयान दे रही हैं, बल्कि इसके पीछे उनकी सोची-समझी रणनीति है।
कोर हिंदुत्व पर भाजपा का जोर
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर भारतीय जनता ने विपक्ष पर बढ़त ले ली है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बीच जनता के बीच भाजपा की छवि कोर हिंदुत्व की बनी है। गांव हो या शहर हर जगह बीजेपी के इस कार्य की लोग प्रशंसा कर रहे हैं और इसे राष्ट्रभक्ति से जोड़कर देख रहे हैं। ऐसे में जो दल 370 को लेकर भाजपा का विरोध कर रहे हैं, जनता में उनकी छवि नकारात्मक बन रही है। ऐसे में मायावती नहीं चाहती हैं कि उनकी पार्टी की ऐसी कोई छवि बने।
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देश भक्ति की लहर
2014 के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव और यूपी विधानसभा चुनाव में राष्ट्रवाद और ‘देशभक्ति’ की लहर में अपने कोर वोटरों को भी गोता लगाते देख मायावती ने बीजेपी के समर्थन का फैसला लिया है। वह देख रही हैं कि भारतीय जनता पार्टी देशभक्ति की लहरों पर सवार होकर आसानी से चुनावी वैतरणी पार कर जा रही है। बसपा के रणनीतिकारों का मानना है कि सर्जिकल स्ट्राइक की तरह कश्मीर मसले पर सवाल उठाने वाली पार्टियों को राजनीतिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
बसपा की नई रणनीति
लोकसभा चुनाव के बाद बहुजन समाज पार्टी की रणनीति में बदलाव साफ-साफ दिख रहा है। बेरोजगारी, अपराध और भ्रष्टाचार जैसे मसलों पर वह भारतीय जनता पार्टी को घेरने से नहीं चूकतीं, लेकिन साम्प्रदायिक मामलों पर मायावती चुप्पी ही साधे रहती हैं। चाहे वह तीन तलाक का मामला हो या फिर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटाये जाने का फैसला। कश्मीर मामले पर जहां वह बीजेपी साथ खड़ी नजर आ रही हैं, तीन तलाक बिल पर सदन में चर्चा के दौरान उनकी चुप्पी बसपा की नई रणनीति की ओर इशारा करती है। हर मामले पर ट्वीट करने वाली मायावती का तीन तलाक पर कोई ट्वीट नहीं आया।
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सबसे अलग-थलग पड़ीं
लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद अखिलेश यादव से गठबंधन तोड़ने वाली मायावती अलग-थलग पड़ चुकी हैं। सपा से उनका गठबंधन टूट चुका है। कांग्रेस से गठबंधन करेंगी नहीं, क्योंकि आज जो बसपा का दलित वोट बैंक है, वह कभी कांग्रेस का वोटबैंक हुआ करता था। प्रियंका गांधी की अगुआई में कांग्रेस की नजर अपने पुराने वोट बैंक हासिल करने पर है। इसके अलावा मायावती ने ही सपा से गठबंधन तोड़ने की पहल की, जिसके चलते उन पर राजनीतिक धोखा देने के आरोप लग रहे हैं। वह इन दिनों सबसे अलग-थलग हैं। ऐसे में उनकी कोशिश भाजपा के समीप जाने की है।
बेनामी संपत्ति मामले में भाई आनंद पर शिकंजा
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इन दिनों देश में भ्रष्टाचार को लेकर केंद्रीय जांच एजेंसी काफी सख्त है। भ्रष्टाचार के एक मामले में पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम सलाखों के पीछे हैं। मायावती के भाई आनंद कुमार पर भी बेनामी संपत्ति रखने का आरोप है। मामले में वह कभी भी जांच एजेंसी के राडार पर आ सकते हैं। ऐसे में वह अगर सरकार के फैसलों के साथ खड़ी होंगी तो मुमकिन पर उनके भाई की फाइल पेंडिंग ही पड़ी रहे और वह जांच की आंच से बचे रहें।
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मायावती ने क्या कहा था…
राहुल गांधी को कश्मीर जाने से रोके जाने पर विपक्षी दल जहां बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं, वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने बीजेपी का समर्थन किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर हमेशा ही देश की समानता, एकता व अखण्डता के पक्षधर रहे हैं इसलिए वे जम्मू-कश्मीर राज्य में अलग से धारा 370 का प्रावधान करने के कतई भी पक्ष में नहीं थे। इसी खास वजह से बीएसपी ने संसद में इस धारा को हटाये जाने का समर्थन किया। लेकिन, देश में संविधान लागू होने के लगभग 69 वर्षों के उपरान्त इस धारा 370 की समाप्ति के बाद अब वहां पर हालात सामान्य होने में थोड़ा समय अवश्य ही लगेगा। इसका थोड़ा इंतजार किया जाए तो बेहतर है, जिसको माननीय कोर्ट ने भी माना है। ऐसे में अभी हाल ही में बिना अनुमति के कांग्रेस व अन्य पार्टियों के नेताओं का कश्मीर जाना क्या केन्द्र व वहां के गवर्नर को राजनीति करने का मौका देने जैसा इनका यह कदम नहीं है? वहां पर जाने से पहले इस पर भी थोड़ा विचार कर लिया जाता, तो यह उचित होता।

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