
उपचुनाव के नतीजे मायावती को पचाये नहीं पच रहे हैं
लखनऊ. विधानसभा उपचुनाव के नतीजों के बाद से अब तक करीब एक दर्जन नेताओं को बहुजन समाज पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है। अभी पार्टी के कुछ और बड़े नेताओं पर गाज गिरने की चर्चा के चलते संगठन में बेचैनी है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो उपचुनाव के नतीजे मायावती को पचाये नहीं पच रहे हैं। खासकर अंबेडकरनगर की जलालपुर विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी की हार से वह बेहद आहत हैं। सूत्रों के मुताबिक, छह नवंबर को लखनऊ में बहुजन समाज पार्टी की समीक्षा बैठक में जलालपुर की हार का मुद्दा गर्माया रहा। बसपा प्रमुख मायावती ने जलालपुर में जीत की अनुकूल परिस्थिति होने के बाद भी मिली हार के कारणों की रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट के बाद कुछ नेताओं पर कार्रवाई भी संभव है। इसके अलावा सहारनपुर जिले की गंगोह और मऊ जिले की घोसी सीट के नतीजों को लेकर भी मायावती संतुष्ट नहीं है। यहां के नेताओं-कार्यकर्ताओं की भी समीक्षा रिपोर्ट मांगी गई है।
अंबेडकनगर की जलालपुर सीट बहुजन समाज पार्टी का गढ़ माना जाता है। लोकसभा चुनाव में अंबेडकरनगर से सांसद चुने जाने से पहले से पहले रितेश पांडेय जलालपुर से बसपा विधायक थे। लेकिन, उपुचनाव में इस सीट पर न केवल बसपा को हार का सामना करना पड़ा, बल्कि यहां उसकी प्रमुख प्रतिद्वंदी पार्टी सपा के सुभाष राय विजयी रहे। कड़े मुकाबले में बसपा प्रत्याशी छाया वर्मा को हार का सामना करना पड़ा।
बसपा में मची उथल-पुथल
अक्टूबर में उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे, जिनमें पहली बार बहुजन समाज पार्टी ने किस्मत आजमाई थी। बीते लोकसभा चुनाव में 10 सांसद जीतने वाली बहुजन समाज पार्टी ने सपा को कमजोर कहते हुए गठबंधन तोड़ दिया था। उपचुनाव में पार्टी को करिश्माई प्रदर्शन की उम्मीद थी, लेकिन बसपा एक भी सीट नहीं जीत पाई, जबकि सपा ने 11 में से न केवल तीन सीटें जीतीं, बल्कि बसपा की प्रमुख सीट जलालपुर पर भी साइकिल दौड़ी दी। हालांकि, महज उपचुनाव के नतीजों से भले ही किसी पार्टी का आंकलन नहीं किया जा सकता है, लेकिन चुनाव परिणाम ने बसपा में जरूर उथल-पुथल मचा दी है।
Updated on:
17 Nov 2019 07:41 pm
Published on:
13 Nov 2019 02:50 pm
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