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महाराजगंज

अपने स्वामी के पास जाने के लिए तड़प रहा है चंचल

11 जून से मधवलिया रेंज में कैद है चंचल

महाराजगंजJun 17, 2018 / 02:20 pm

sarveshwari Mishra

Elephant

हाथी

महराजगंज. वन विभाग के सनक के चलते कई वर्ष का पालतू हाथी चंचल अपने स्वामी से दूर कर दिया गया है। किसी मांगलिक कार्य में शिरकत कर वापस आते हुए उसे महावत सहित पिछले 11 जून को वन विभाग की टीम ने अपने कस्टडी में लेकर हाथी पालक से हाथी के वैध कागजात की मांग कर रहा है। हाथी पालक नाथू चैधरी का कहना है कि कई साल से हाथी उनके पास रह रहा था। इतने लंबे समय बाद उनसे हाथी के कागजात मांगा जा रहा है, वे कहां से लाएं। इधर वैध कागजात के अभाव में नाथू चौधरी के हाथी को वन विभाग अपनी संपति घोषित करने की तैयारी में है। वन विभाग के इस सनक से जिले भर के हाथी पालक परेशान हैं।

बता दें कि हाथी पालने का नियम वर्ष 2000 के आसपास अमल में लाया गया है। इस नियम के तहत हाथी पालक को एक कागज वहां से लेना अनिवार्य है जहां से उसने हाथी को क्रय किया है। इसी के आधार पर उसे वन विभाग से हाथी पालने का लायसेंस लेना होता है। यहां खास बात यह है कि इस नियम के अमल के आने के बाद ज्यादातर हाथी के शौकीन लोगों ने हाथी पालने का शौक त्याग दिया। लेकिन 2000 के पहले जिनके पास हाथी है वे कहां से कागजात व लायसेंस हासिल करें। आज जहां भी हाथी हैं उनमें से ज्यादातर के पास कोई कागजात नही है। लेकिन हाथी और उसके पालक के रिश्ते के आधार पर उसे रहने दिया जा रहा है। निचलौल थाना क्षेत्र के पिपरा काजी निवासी नाथू चैधरी के हाथी का मामला भी कुछ ऐसा ही है। चंचल नाम का उनका हाथी कई वर्षों से उनके पास रह रहा है। लेकिन पिछले 11 जून को किसी मांगलिक कार्य में शिरकत कर वापस आते वक्त उसे डीएफओ मनीष सिंह ने अपने कस्टडी में ले लिया। क्योंकि हाथी पालक के पास कोई वैध कागजात नहीं था। नाथू चौधरी का कहना है कि चंचल पिछले कई साल से उनके पास है। उसे उनके पिता ने खरीदा था। तब हाथी पालने के लिए ऐसा कोई नियम कानून शायद नहीं था। हालाकि 2000 में इस नियम के आने के बाद उन्होंने हाथी पालने के लिए लासेंस हासिल करने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें मिल नहीं पाया। अब जब उनकी हाथी पकड़ ली गई तो वे उसे हासिल करने के लिए हाथ पैर मार रहे हैं। इधर हाथी को जब्त करने के बाद उसे मधवलिया रेंज में रखा गया है जहां चंचल का मन बिलकुल नहीं लग रहा। वह अपने स्वामी से अलग होने के बाद से ही उनके पास जाने के लिए तड़प रहा है। खबर तो यहां तक है कि जबसे उसे पकड़ा गया है तब से उसने खाना पीना तक छोड़ दिया। बहुत भूख लगने पर थोड़ा बहुत कुछ चारा खा लेता है।

वन विभाग के पास इस बात की जानकारी नहीं है कि उनके जिले में कितने हाथी ऐसे हैं जो बिना कागजात के पाले हुए हैं। यदि हाथियों के कागजात चेक करने की वाध्यता है तो विभाग अपने कर्मी से इस बात का पता लगाए और बिना कागजात पाले गए सभी हाथियों को जब्त करें। जिले के विभिन्न हिस्सों में करीब एक दर्जन हाथी पाले गए हैं लेकिन इनमें से कितने के पास कागजात है वन विभाग के पास इसकी कोई जानकारी नहीं है। तो आरटीओ की तरह डीएफओ हाथियों को चेक करेंगे और बिना कागजात पाए जाने पर उसे पकड़ कर वन विभाग को सौपेंगे। डीएफओ मनीष सिंह कहते हैं कि गश्त के दौरान उन्होंने नाथू चौधरी के हाथी चंचल को पकड़ा था। डीएफओ का कहना है कि हाथी मालिक यदि वैध कागजात दिखाते हैं तो हाथी उन्हें सौंप दी जाएगी अन्यथा उसे वन विभाग की राजस्व संपति घोषित कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए हाथी स्वामी नाथू चौधरी को 19 जून तक का समय दिया गया है।
By- Yashoda Srivastava

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