मालूम हो कि वन्य जीवों व वन संपदा की छति न हो, इसे ध्यान में रखकर शासन ने वन क्षेत्र से दस किमी परिधि वाले घाटों से खनन प्रतिबंधित कर दिया है। बावजूद इसके कागजों में बंद हो चुका खनन विभागीय अधिकारियों की साठगाठ से बदस्तूर जारी था। इसकी शिकायत पर सरकार ने वन क्षेत्र से प्रतिबंधित दायरा घटाकर एक किमी कर दिया। नतीजा यह हुआ कि जिले में केवल एक घाट अहिरौली से ही खनन की अनुमति दी गई। 31मार्च को पट्टे की अवधि समाप्त होते ही इस घाट से भी खनन बंद हो गया।
जिले में कुल 12 बालू घाटों का पट्टा होना था। वन विभाग ने इसके लिए एनओसी भी दे दिया था। बावजूद इसके किसी घाट का पट्टा नहीं हुआ। लिहाजा पहले से ही आसमान छू रहे बालू के दाम में और बढ़ोत्तरी की ही उम्मीद है। अभी साधरण बालू 40 से 60 रूपए प्रति फुट तथा मोरंग 90 से120 रूपए प्रति फुट की दर पर बिक रहा है। बालू का दाम सस्ता किए जाने के सरकार का आदेश लागू होने पर साधरण बालू 20 रूपए व मोरंग 60 रूपए प्रति फुट हो जाना था जो नही हुआ।
खनन का कार्य देख रहे एडीएम इंदूभूषण वर्मा का कहना है कि सरकारी जमीन पर अभी खनन का पट्टा नहीं हो पाया है। इस संबंध में खनन निरीक्षक से पूछताछ की जाएगी। उन्होंने कहा कि कुछ निजी भू स्वामियों को खनन का पट्टा दिया गया है।