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कर्मचारियों से करें सीधा संवाद, बढ़ेगा मोटिवेशन

Communications with employees : अपने एंप्लॉइज (employees) का मोटिवेशन लेवल (motivation level) बढ़ाने के लिए आप तरह-तरह के प्रोग्राम्स तो लाते ही हैं, लेकिन यदि अपने एंप्लॉइज के साथ सीधा संवाद ही आप कायम नहीं कर पाते तो आप प्रोडक्टिविटी (productivity) बढ़ाने के कई बड़े अवसर गंवा देते हैं।

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Communication Skills

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Communications with employees : अपने एंप्लॉइज (employees) का मोटिवेशन लेवल (motivation level) बढ़ाने के लिए आप तरह-तरह के प्रोग्राम्स तो लाते ही हैं, लेकिन यदि अपने एंप्लॉइज के साथ सीधा संवाद ही आप कायम नहीं कर पाते तो आप प्रोडक्टिविटी (productivity) बढ़ाने के कई बड़े अवसर गंवा देते हैं। अपने एंप्लॉइज के साथ अपना संवाद बढ़ाकर आप बढ़ा सकते हैं उनके मोटिवेशन का स्तर।

काम करने के लिए खुद में सेल्फ मोटिवेशन भले ही कई लोग ला पाते हों, लेकिन यदि बॉसेज की ओर से मोटिवेशन न मिले तो यह सेल्फ मोटिवेशन (self motivation) भी हल्का पढ़ जाता है। बॉसेज की ओर अपने एंप्लॉइज को मोटिवेट करने के लिए तरह-तरह की योजनाएं लाई जाती हैं लेकिन एक साधारण सा संवाद अक्सर एंप्लॉइज के मोटिवेशन को इतना बढ़ा जाता है, जितना ये सारे प्रोग्राम्स मिलकर नहीं बढ़ा पाते। इसलिए अपने एंप्लॉइज को मोटिवेट करने के लिए उनसे संवाद जरूर करें।

जब बदलें अधिकारी
कंपनी में शीर्ष स्तर पर बदलाव अक्सर बोर्ड मीटिंग्स में कर लिए जाते हैं, जिसकी पूरी और सटीक जानकारी एंप्लॉइज को हो ही नहीं पाती। इससे अनिश्चितता का माहौल बनता है, जो कि सही नहीं है। शीर्ष स्तर पर यदि कोई ऐसा बदलाव होता है, जिससे कंपनी के नेतïृत्व या एंप्लॉइज के कामकाज पर कुछ भी फर्क पडऩा है, तो उसके बारे में उन्हें जानकारी जरूर दें। मालिक बदलने पर भी ऐसा करें। इससे एंप्लॉइज और एडमिनिस्ट्रेशन के बीच विश्वास कायम होता है, जो कि अच्छा है।

आइडिया बैंक
कंपनी में एंप्लॉइज से संवाद करने का अर्थ सिर्फ उन्हें बदलावों की जानकारी देना या उनकी शिकायतें सुनने तक सीमित नहीं है। यह संवाद आपको आपके सैंकड़ों कर्मचारियों के असंख्य आइडियाज भी दिलवाता है। जब-जब आप एंप्लॉइज के साथ ओपन डिस्कशन करते हैं, आप कंपनी के लिए हजारों आइडियाज के एक बैंक के पास पहुंच जाते हैं। इसलिए इस सेशन में ब्रेन स्टॉर्मिंग करना ना भूलें। बातचीत में ही ऐसा कोई खास आइडिया मिल जाए, जो आप लंबे समय से ढूंढ रहे हों।

कंपनी में बदलाव
कंपनी के कामकाज से जुड़े कई बदलाव शीर्ष स्तर पर कुछ इस तरह तय होते हैं, मानो इसका किसी अन्य से कुछ लेना देना ही नहीं है। इसके बाद बदलावों को एंप्लॉइज पर सिर्फ थोप दिया जाता है। ऐसा होने पर एंप्लॉइज बदलाव को स्वस्थ ढंग से नहीं लेते। काम काज और संरचना में बदलाव लाएं, तो समय-समय पर संवाद करें। संदेह खत्म होंगे।

सुनें शिकायतें
आपके ऑफिस में काम करने वाले एंप्लॉइज की सुनवाई नहीं करेंगे, तो उनके मन में किसी भी छोटी सी बात को लेकर बड़ी निराशा घर कर सकती है। समय-समय पर उनकी समस्याओं और शिकायतों की जानकारी लेते रहें। ये शिकायतें कई बार व्यवस्था में इतना अधिक सुधार कर जाती हैं कि उससे अंतत: आपकी प्रोडक्टिविटी भी बढ़ जाती है।

फीडबैक और ट्रेनिंग
आपकी कंपनी के कामकाज, प्रोडक्ट्स और एंप्लॉइज के बर्ताव के बारे में आपके पास फीडबैक आते ही हैं। इन्हें लेकर आप खुश हैं या नाराज, इस बात का जिक्र एंप्लॉइज के साथ करें। आप अपने एंप्लॉइज को कुछ नया सीखने का मौका दे रहे हैं, तो उसके बारे में भी पर्याप्त इंटरेक्शन हो। फीडबैक व मौक ों को जानकर एंप्लॉई प्रेरित होंगे।