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मोटिवेशन : परिवर्तन प्रकृति का नियम है, बदलाव को स्वीकारना सीखें

जिस काम को करने के लिए आपका मन नहीं मानता, वह मत कीजिए या कि तमाम जोखिमों के बावजूद मनचाहा करने की गुंजायश निकालना सीखें।

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Amanpreet Kaur

Aug 25, 2018

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अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे बता रही हैं कि जीवन में बदलाव को साहस के साथ कैसे स्वीकारें-
जिस काम को करने के लिए आपका मन नहीं मानता, वह मत कीजिए या कि तमाम जोखिमों के बावजूद मनचाहा करने की गुंजायश निकालना सीखें। मेरे सिद्धांतवादी पिता ने अपनी सरकारी नौकरी में बहुत ट्रांसफर झेले। हर दो साल में हम एक नई जगह पर होते थे। आखिरकार, हम मुंबई आ गए। यहीं से मैंने कॉलेज किया। एक बार कॉलेज में फैशन शो के दौरान कोई लडक़ी नहीं आई तो मुझे उसकी जगह मुझे ले लिया गया, यहीं मैंने पहली बार हील पहनी थी। इस तरह मॉडलिंग की दुनिया में मेरा कदम पड़ गया जो बाद में एक टैलेंट सर्च के जरिए फिल्मों तक आ निकला।

मेरी पृष्ठभूमि उन घरों वाली है, जहां घर का इकलौता दर्पण वॉश-बेसिन के ऊपर लगा होता है। अगर, आप पांच मिनट से ज्यादा दर्पण को देते हैं तो आपको सनकी माना जाएगा। मेरी मां, सुंदरता को कतई महत्व नहीं देती थी। अब मेरा कैंसर का इलाज चल रहा है और मैं जानती हूं कि जल्द ही मैं बहुत सुंदर नहीं रह जाऊंगी लेकिन मुझे मां की दी हुई सीख याद है, सुंदरता हो न हो, गुण होने चाहिए। हालात को साहस के साथ स्वीकार करने और जूझने का गुण है मुझमें! मैंने जैसे ही साझा किया कि मुझे कैंसर है, कई लोगों ने बताया कि वे भी इससे गुजरे हैं। इतनी बड़ी दुनिया में ऐसे लोगों की संख्या कम नहीं जो आप जैसे ही या आपसे भी बुरे हालात से गुजर रहे हैं या गुजर आए हैं। समय बुरा हो या अच्छा, हम अकेले नहीं का मंत्र ताकत देता है। सबसे बड़ी बात आपका लक्ष्य साथ होता है।

ऐसे संवरता है जीवन

जिस दिन मुझे पता चला कि मुझे हाईग्रेड कैंसर है, मेरे पांवों तले जमीन खिसक गई थी लेकिन अगले ही पल मुझे अहसास हुआ कि जीवन हमेशा वैसा नहीं चलता, जैसा आप इसे चलाना चाहते हैं। आपको सच को स्वीकार करना होता है। बेशक, तनाव होता है लेकिन अपने बच्चे की तरफ देखकर सुखद अहसास से भर जाती हूं। जब औरों की जिंदगी संवारने में जुट जाते हैं, चाहे वह अपना हो या पराया तो आपका जीवन भी संवरने लगता है।

छोडऩा भी जरूरी है

मुझे लगता है कि हर इंसान को यह पता होना चाहिए कि उसे क्या चाहिए और कैसे उसे हासिल करना है, साथ ही अपनी जरूरतों और ख्वाहिशों के बीच फर्क करना भी जरूरी है। जो कुछ भी आपके पास है और जो आप पाना चाहते हैं, उसे अपनी जरूरत के पैमाने पर कसिए और आप पाएंगे कि बहुत-सारी गैरजरूरी चीजों से आपको छुटकारा मिल गया है, आप हल्के हो गए हैं और पहले से अधिक तेजी के साथ आगे बढ़ सकते हैं।