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सरकारी नौकरी छोड़ शुरू की एक्टिंग, यूं बने टॉप विलेन, पढ़ें पूरी कहानी

वर्ष 1954 में अपने पहले फिल्मी स्क्रीन टेस्ट में अमरीश पुरी सफल नहीं हुए। उन्होंने अपने जीवन के 40वें वसंत से अपने फिल्मी जीवन की शुरुआत की थी।

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जयपुर

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Sunil Sharma

Mar 29, 2019

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बॉलीवुड में अमरीश पुरी को एक ऐसे अभिनेता के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने अपनी कडक़ आवाज, रौबदार भाव-भंगिमाओं और दमदार अभिनय के बल पर खलनायकी को एक नई पहचान दी। रंगमंच से फिल्मों के रूपहले पर्दे तक पहुंचे अमरीश पुरी ने करीब तीन दशक में लगभग 250 फिल्मों में अभिनय का जौहर दिखाया। आज के दौर में जब कलाकार किसी अभिनय प्रशिक्षण संस्था से प्रशिक्षण लेकर अभिनय जीवन की शुरुआत करते हैं, अमरीश पुरी खुद एक चलते फिरते अभिनय प्रशिक्षण संस्था थे। हालांकि, बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि पंजाब के नौशेरां गांव में 22 जून 1932 में जन्में अमरीश पुरी ने बॉलीवुड में कदम रखने से पहले श्रम विभाग में नौकरी करते थे।

नौकरी के साथ किया नाटक
नौकरी के साथ साथ वह सत्यदेव दुबे के नाटकों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया करते थे। बाद में वह पृथ्वी राज कपूर के ‘पृथ्वी थियेटर’ में बतौर कलाकार अपनी पहचान बनाने में सफल हुए। पचास के दशक में अमरीश पुरी ने हिमाचल प्रदेश के शिमला से बीए पास करने के बाद मुंबई का रूख किया। उस समय उनके बड़े भाई मदन पुरी हिन्दी फिल्म में बतौर खलनायक अपनी पहचान बना चुके थे। वर्ष 1954 में अपने पहले फिल्मी स्क्रीन टेस्ट में अमरीश पुरी सफल नहीं हुए। उन्होंने अपने जीवन के 40वें वसंत से अपने फिल्मी जीवन की शुरुआत की थी। वर्ष 1971 में बतौर खलनायक उन्होंने फिल्म ‘रेशमा’ और ‘शेरा’ से अपने कॅरियर की शुरुआत की, लेकिन इस फिल्म से दर्शकों के बीच वह अपनी पहचान नहीं बना सके।

‘मोगैम्बो’ नाम बना उनकी पहचान
वर्ष 1987 में उनके कैरियर में अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ। इस वर्ष अपनी पिछली फिल्म ‘मासूम’ की सफलता से उत्साहित शेखर कपूर बच्चों पर केन्द्रित एक और फिल्म बनाना चाहते थे जो ‘इनविजबल मैन’ के ऊपर आधारित थी। इस फिल्म में नायक के रूप में अनिल कपूर का चयन हो चुका था, जबकि कहानी की मांग को देखते हुए खलनायक के रूप में ऐसे कलाकार की मांग थी जो फिल्मी पर्दे पर बहुत ही बुरा लगे। इस किरदार के लिए निर्देशक ने अमरीश पुरी का चुनाव किया जो फिल्म की सफलता के बाद सही साबित हुआ। इस फिल्म में अमरीश पुरी द्वारा निभाए गए किरदार का नाम था ‘मोगैम्बो’ और यही नाम इस फिल्म के बाद उनकी पहचान बन गया।

हॉलीवुड में भी किया काम
जहां भारतीय मूल के कलाकार को विदेशी फिल्मों में काम करने की जगह नहीं मिल पाती है, वही अमरीश पुरी ने स्टीवन स्पीलबर्ग की मशहूर फिल्म ‘इंडियाना जोंस एंड द टेंपल ऑफ डूम’ में खलनायक के रूप में काली के भक्त का किरदार निभाया। इसके लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति भी प्राप्त हुई। इस फिल्म के पश्चात उन्हें हॉलीवुड से कई प्रस्ताव मिले जिन्हे उन्होनें स्वीकार नहीं किया क्योंकि उनका मानना था कि हॉलीवुड में भारतीय मूल के कलाकारों को नीचा दिखाया जाता है। लगभग चार दशक तक अपने दमदार अभिनय से दर्शकों के दिल में अपनी खास पहचान बनाने वाले अमरीश पुरी ने 12 जनवरी 2005 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया।