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रद्दी कागज और कपड़ों को काम लेकर बनी करोड़पति, जाने पूरी कहानी

पढ़े उद्यमी लक्ष्मी मेनन की कहानी जिन्होंने कागज और रद्दी कपड़ों से पेन और गुड़िया बनाकर न केवल खुद की अर्निंग शुरू की वरन दूसरों का भी सहारा दिया।

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जयपुर

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Sunil Sharma

Sep 24, 2020

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मैंने खुद के ईजाद किए गए खास तरीके से यूज एंड थ्रो पेन से पर्यावरण पर खतरों से निपटना सीखा। एक सामाजिक उद्यम से शुरुआत की जो कागज के डिस्पोजेबल पेन बनाता है। ऐसे पेन, जिसमें बीज छिपे होते हैं। इस्तेमाल के बाद जब आप उन्हें फेंक देते हैं तो कहीं कोई पौधा उग आता है। बुजुर्गों और निशक्त महिलाओं को रोजगार देने वाला यह उद्यम प्रिंटिंग प्रेस से कागज के कचरे को उठाता है और इन पौधों के चमत्कारी पेन विकसित करता है।

मेरा जन्म केरल के एर्नाकुलम जिले के एक छोटे-से कस्बे में हुआ था। केरल की यात्राओं के दौरान मैं अनाथ बच्चों को क्राफ्ट सिखाती थी। इसी दौरान मैंने उन्हें सिखाया कि कैसे कागज को रोल करें और पेन बनाएं। यह ऐसा उत्पाद था जिसे मैंने सैन फ्रांसिस्को की एक आर्ट गैलरी में भेजा और बेचा। यह बच्चों के साथ एक वर्कशॉप के दौरान बना। यहीं से मन में पेपर पेन में बीज को एम्बेड करने का विचार आया ताकि उन्हें प्लास्टिक पेन के खतरे के लिए सही पर्यावरण के अनुकूल समाधान बना सके।

चेकुट्टी गुडिय़ा की कहानी
मेरे हालिया नवाचारों में एक है- चेकुट्टी गुडिय़ा। यह विचार केरल की विनाशकारी बाढ़ के बाद आया। बुनकरों का गांव चेंदमंगलम एक सप्ताह से अधिक समय तक पानी के भीतर डूबा हुआ था। टनों कपड़े भीगकर चिंदी बन गए। मैंने इन चिंदियों से चेकुट्टी डॉल बनाई। आज केरल के हर घर में यह डॉल है।

दिमाग को खुला रखें
आपको अपने दिमाग को हमेशा खुला रखना चाहिए तभी हर संकट से निकलने की राह मिलती है। मैंने कभी कोई पेटेंट नहीं लिया है। आपके बस चल पडऩे की देर है, रास्ता मिलेगा। आप चलते जाएं, पगडंडी बनेगी और लोग आपके पीछे आने लगेंगे।