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आप एक मैनेजर के तौर पर एक लीडर की भूमिका निभा रहे हैं, एक बड़ी टीम को लीड कर रहे हैं। दूसरी तरफ यह भी कड़वा सच है कि बहुत से लोग अपने बॉस से तभी मिलते हैं, जब वे मुसीबत में होते हैं। उन्हें उससे केवल डांट ही मिली होती है। आप अगर अच्छे मैनेजर या लीडर बनना चाहते हैं तो टीम मेट्स को कोचिंग देकर इस दूरी को कम कर सकते हैं। जानते हैं कैसे...
क्यों दे रहे हैं आप कोचिंग, बताएं
जब आप अपने टीम मेंबर्स को कोचिंग देना कमिट करें तो उससे पहले उन्हें यह जरूर बताएं कि आप उन्हें कोचिंग क्यों दे रहे हैं। उन्हें बताएं कि आप चाहते हैं कि टीम के हर सदस्य का विकास हो और वह आगे बढ़े, इसलिए आपने उन्हें कोचिंग देने के बारे में सोचा है और यह कोचिंग नियमित होने वाली है। इससे टीम मेंबर्स को कोचिंग के पीछे का उद्देश्य समझ आ जाएगा और वह यह जान जाएंगे कि कोचिंग से उन्हें ही आगे बढऩे में सफलता मिलने वाली है और इसकी मदद से अपने लक्ष्य आसानी से प्राप्त कर पाएंगे। कारण समझ आने पर वे आपको को-ऑपरेट करेंगे और कोचिंग के लिए न केवल एक बार, बल्कि हर बार सहयोग देंगे।
कोचिंग हर किसी के लिए है
हर किसी को कोचिंग लेने का अवसर मिलना ही चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि लोग यह भी सोच लेते हैं कि अरे, रेसेप्शनिस्ट को कोचिंग देने का क्या मतलब है? उसे भला क्या फायदा? लेकिन आप बतौर टीम लीडर याद रखें कि हर किसी को आगे बढऩे का मौका मिलना चाहिए, उसे हर वह चीज करने का मौका मिलना चाहिए, जो वह कर सकता है। सभी में असीम संभावनाएं हैं, जरूरत है तो उन पर भरोसा किए जाने की।
उनके लक्ष्य से बंधी हो कोचिंग
आपको कोचिंग देने से पहले लोगों से उनके शॉर्ट टर्म, मिड टर्म और लॉन्ग टर्म गोल्स के बारे में पूछना चाहिए। हो सकता है कि आपको इस बात को लेकर हैरानी हो कि लोगों को पता ही नहीं है कि उन्हें जिंदगी में कब आगे बढऩा है। गोल्स के बारे में चर्चा करने और टीम मेंबर की मदद करने से उन्हें अपने लक्ष्य के बारे में जानने में मदद मिलेगी। ऐसा होने से आपकी छवि भी टीम मेंबर्स के बीच अच्छी बनेगी और वे आपका आदर करेंगे। आदर मिलने से आपको भी खुशी होगी।
कोचिंग तो होनी ही चाहिए
बतौर मैनेजर या टीम लीडर आपको अटपटा लगे और आप इसे अपनी प्राथमिकता में बिल्कुल न रखें लेकिन टीम मेंबर्स की कोचिंग हर साल-छह महीने में होना जरूरी है। आप चाहें तो इसे कैलेंडर पर मार्क कर लें और फिर चाहे कितनी भी व्यस्ताएं क्यों न हों, उस तारीख को कोचिंग शुरू कर ही दें। कोचिंग बोर न लगे, इसलिए इसे उपदेशात्मक न रखें। आप चाहें तो बाहर से भी एक्सपर्ट बुला सकते हैं, इससे टीम मेंबर्स को नई-नई बातें जानने का मौका मिलेगा। इससे काफी फायदा होगा। बाहर से एक्सपर्ट आपको भी कुछ नया ही सिखाएंगे।
साइकोलॉजी को समझें
जब भी आप कोचिंग दें तो इस बात को न भूलें कि आप इंसानों को कोचिंग दे रहे हैं और जब वे कोचिंग के लिए आते हैं तो असुरक्षा, आइडिया, पूर्वाग्रह जैसी चीजें उनके मन में होती हैं। उनके यही पूर्वाग्रह उन्हें कोचिंग के प्रति सकारात्मक रवैया अख्तियार करने से रोकते हैं। इसलिए जब भी कोचिंग शुरू करें, आप साफ कर दें कि वे लोग किसी भी तरह की मुसीबत में नहीं हैं, न ही उनकी नौकरी खतरे में है। आपका आश्वासन पाकर वे आश्वस्त हो जाएंगे और मन लगाकर कोचिंग लेंगे।
Published on:
06 Jan 2019 07:22 pm
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