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हर एक कला की इस तरह ली जानकारी
उनके साथ राज्य सभा सासंद सम्पतिया उइके भी थी। कला दीर्घा के प्रबंधक सुधीर कांसकार ने कलाकारों की कलाकृतियां और उनके द्वारा निर्मित स्थानीय उत्पादों को बड़े सूक्ष्मता से अवलोकन कराया। हर एक कला के बारे में अलग-अलग से उनके उपयोग को भी बताया। कला के क्षेत्र में जिला पंचायत के द्वारा कला को प्रोत्साहित और उनके मार्केटिंग के लिए जो प्रयास किया जा रहा है, उनकी राज्यपाल ने सराहना की। साथ ही स्थानीय उत्पाद जैसे कांताबाई के द्वारा निर्मित छिंद की झाड़, कृषि वनोपज संघ के द्वारा तैयार कोदो कुटकी की बिस्कुट, नमकीन, मीठा एवं स्थानीय गुड़ को भी उन्होंने क्रय किया।
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जिला पंचायत के कार्यों को सराहा
तुरही, ध्यान कटोरा, कछुआ लोटस के बारे में प्रबंधक के द्वारा अवगत कराया गया कि यह हमारे दैनिक जीवन में उनका स्वास्थ्य और दिमागी शांति के लिए कैसा उपयोग किया जाता है। इससे प्रभावित होते हुए उन्होंने उक्त तीनों चीजों को भी अपने जीवन में उपयोग करने के लिए क्रय किया। साथ ही आदिवासी भाइयों के द्वारा तैयार की गई गौड़ी आर्ट को भी बड़े सूक्ष्मता से देखते हुए कलाकृतियों के विक्रय के लिए जिला पंचायत द्वारा किए जा रहे कार्य की सराहना की। उन्होंने बताया की हस्त निर्मित कलाकृतियों से उन्हें आत्मीय लगाव है और इन कलाकारों के लिए जो भी सहयोग बन पड़ेगा करूंगी।
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