सिर्फ एक ही मोटरबोट का सहारा
मोटर बोट और लाइफ जैकेट आपदा प्रबंधन में होमगाड्र्स के लिए बेहद मददगार साबित होते हैं। मंडला जिले के होमगार्ड के पास मोटरबोट के नाम पर सिर्फ दो मोटरबोट हैं, जिनमें से एक ही अधिक उपयोग में लाई जा रही है क्योंकि वजन में हल्का और आकार में छोटा होने के कारण उसे आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर ले जाया जा सकता है। जबकि होमगाड्र्स के पास पांच-पांच मोटर बोट इंजिन रखे हुए हैं। दूसरा मोटरबोट आकार में अधिक बड़ा और वजनी होने के कारण कम ही इस्तेमाल हो रहा है। होमगाड्र्स को कम से कम तीन और छोटे आकार के मोटर बोट की आवश्यकता है। लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण होमगाडर््स संसाधनों के अभाव में रेस्क्यू करने को लाचार हैं। जानकारी के अनुसार, होमगार्ड के पास फिलहाल 40 हॉर्स पावर, 30 हॉर्स पावर, 25 हॉर्स पावर, 15 हॉर्स पावर और 10 हॉर्स पावर के पांच इंजिन हैं। इनमें से सर्वाधिक इस्तेमाल में आने वाले 10 और 15 एचपी के इंजिन हैं। जो छोटे मोटरबोट में आसानी से लगाकर रेस्क्यू ऑपरेशन में इस्तेमाल किए जा सकते हैं। 40 और 30 हार्स पावर के इंजिन बड़े मोटर बोट और बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन में ही काम में लाए जा सकते हैं। अधिक हार्स पावर के इंजिन छोटे मोटरबोट में लगाए नहीं जा सकते क्योंकि अत्यधिक गतिशील होने के कारण मोटरबोट मानो पानी में नहीं हवा में उड़ते हैं। इतनी अधिक गति में होने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन करने में बाधाएं आती हैं।
फेल हो गया ऑपरेशन
सीमित संसाधनों के कारण होमगाड्र्स के रेस्क्यू ऑपरेशन अब फेल होने लगे हैं। ताजा उदाहरण है 20 अप्रैल को नर्मदा तट पर स्थित नाना घाट में चलाए गए रेस्क्यू ऑपरेशन। एक युवक नर्मदा में डूब गया था। घाट किनारे डूबे होने के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका क्योंकि मोटर बोट समय पर तैयार नहीं हो सकी। खबर मिलने के 40 मिनट बाद होमगाड्र्स मौके पर पहुंच सके। युवक की मौत हो गई। उसकी लाश ही हाथ लगी। इससे लोगों मे जमकर आक्रोश रहा और वे होमगाड्र्स पर भड़क गए। सूत्रों के मुताबिक, गर्मी के कारण कई बार मोटरबोट की हवा निकल जाती है। रेस्क्यू ऑपरेशन से पहले उसमें हवा भरनी पड़ती है। इंजन लगाकर रस्सी आदि की व्यवस्था करने में ही समय निकल जाता है। यही कारण है कि 20 अप्रैल को नर्मदा में किनारे पर डूबे युवक को भी नहीं बचाया जा सका।
इनका कहना है
कभी कभी आपदा की जानकारी देरी से मिलने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में समय लग जाता है। इसके अलावा फिलहाल चुनाव ड्यूटी होने के कारण अधिकतर जवान अन्य ड्यूटी पर तैनात हैं। अन्यथा होमगार्ड उपलब्ध संसाधनों के जरिए अधिक से अधिक आपदा प्रबंधन का प्रयास करते हैं।
दुर्गाप्रसाद कार्तिकेय, मेजर होमगार्ड मंडला