पिछले साल जून माह में मध्यप्रदेश में भी किसान आंदोलन छिड़ गया था। इस दौरान प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच में कुछ शरारती तत्वों ने उपद्रव और हिंसा शुरू कर दी थी। इस दौरान पुलिस बल को फायरिंग करना पड़ी थी। इस फायरिंग में 6 किसानों की मौत और कई किसान घायल हो गए थे।
पूरे देशभर में हुई थी फायरिंग की गूंज इस गोलीकांड के बाद पूरे देशभर में इसकी गूंज सुनाई दी थी। दिल्ली से लेकर मंदसौर और दक्षिण भारत तक से इस आंदोलन का समर्थन हुआ था. इसके साथ ही काफी राजनीति गर्माई गई थी।
आज दर्ज होने वाले हैं बयान इस गोलीकांड की जांच के लिए सरकार ने जांच आयोग गठित किया था। जस्टिस जेके जैन जांच कमिशन बनाया गया था। आज जस्टिस जेके जैन के समक्ष इंदौर के कलेक्टर आफिस में पांच डाक्टरों के बयान दर्ज हो रहे हैं। यह वहीं डाक्टर हैं जिन्होंने घायलों और मृतकों के शरीर से गोली निकाली थी। इससे पहले आयोग 191 गवाहों के बयान ले चुका है।
यह भी है खास -मप्र हाई कोर्ट इंदौर के एडवोकेट सिरपुरकर ने पुलिस की ओर से 29 सरकारी गवाहों की सूची पेश की थी। -इनमें मंदसौर तत्कालीन कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह, एसपी, जिला प्रशासन के अफसरों के साथ ही पिपलिया मंडी थाने के पास और बही चौपाटी पर घायल हुए 10 पुलिसकर्मी और उनका इलाज करने वाले पांच डॉक्टर भी शामिल थे।
-इस बड़े गोलीकांड में 59 लोग घायल हो गए थे। -सीनियर एडवोकेट सिरपुरकर इनका इलाज करने वाले पांच डॉक्टरों में डॉ. सुशील जैन, डॉ. मुकेश कुमावत, डॉ. निशांत झामरा, डॉ. विशाल गौड़ व डॉ. सुनील पाटीदार के बयान कराएंगे। उसके बाद 12 फरवरी को 10 घायल पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज होने वाले हैं।
6 जून को हुई थी यह घटना किसानों का आंदोलन सबसे पहले महाराष्ट्र से शुरू हुआ, इसके बाद इसकी आग मध्यप्रदेश में भी आ गई। यह आंदोलन 3 जून को शुरू हुआ था, लेकिन 6 जून को बड़ा प्रदर्शन हो रहा था, इसी दौरान पुलिस को फायरिंग करना पड़ी।
-भीड़ ने घटना के दिन पिपलिया मंडी थाने का घेराव और पथराव के साथ लोहे और लाठियों से तोड़फोड़ की। -घटना के दौरान घटनास्थल की कई दुकानों और मकानों को भारी क्षति हुई थी। वाहनों में भी आग लगा दी थी।