माह-ए-रमजान के तीसरे और अंतिम अशरे में लोगों ने अल्लाह की इबादत में गुजारा। मगरिब की नमाज के बाद लोगों ने मस्जिदों में एताकाफ में बैठना शुरू कर दिया। उधर लोगों ने पहली ताक रात को शब ए कद्र की तलाश की। शहर काजी जैनुस्साजिददीन ने कहा कि पैगम्बर ने इंसान को अधिक उदार बनाया है। अपने आप को पाक साफ करो, सभी संकीर्णताओं से दूर रहो। अल्लाह ने इंसान को वह ज्ञान दिया है जिसे वह जानता नहीं है। परदे को हटाकर जागों और सावधान हो जाओ। उन्होंने रोजेदारों से घर पर ही अलविदा जुमा की नमाज पढ़ने की अपील करते हुए कहा कि महामारी से देश और दुनिया को बचाने की दुआ करें।
शहर काजी ने कहा कि धार्मिक ग्रंथ की सीखों की व्याक्ष्या आज के दुनिया और समाज के अधिकारों की एवज में जानी चाहिए। आज दुनिया की भलाई के लिए मांगी गई एक दुआ हमेशा के लिए बन्दों की भलाई के लिए है। उन्होंने यह भी कहा कि मस्जिदों में किसी प्रकार भी भीड़ नहीं होनी चाहिए। बता दें कि रमजान के तीसरे और अंतिम अशरे जहन्नुम से निजात के पहले दिन सहरी के बाद से ही इबादत शुरू हेती है। फजर की नमाज अदा की और कुरान ए करीम की तिलावत में बैठ जाते हैं। पूरा दिन इबादत में गुजारा और गुनाहों से तौबा कर अल्लाह को राजी करने का प्रयास किया जाता है।