सिसौली के लाल की शहादत पर नहीं जला घरों में चूल्हा
- दिल में पाकिस्तान और आतंकवाद के प्रति नफरत का ज्वर
- शहीद के पार्थिव शरीर के इंतजार में पूरा मेरठ
- परिजनों को सात्वना देने के लिए लगा राजनैतिक दलों का जमावड़ा

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मेरठ ( meerut news ) सिसौली के लाल अनिल तोमर की शहादत पर पूरा मेरठ गमगीन है लेकिन मेरठवासियों को अपने इस लाल पर नाज भी है जिन्होंने आतंकियों से लोहा लेते हुए दो आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया।
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मंगलवार काे शहीद का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचेगा इससे पहले पूरा सिसौली गांव गम और गुस्से में डूबा हुआ है। हर ग्रामीण के चेहरे और आंखों में पाकिस्तान के प्रति नफरत और क्रोध की ज्वाला धधक रही है। सभी काे अब शहीद अऩिल तोमर के अंतिम दर्शन का करने का इंतजार है।
किसान भोपाल के दोनों बेटे फौज में
सिसौली कस्बे के रहने वाले किसान भोपाल सिंह तोमर के दोनों बेटे फौज में हैं। बड़ा बेटा अनिल तोमर पुलवामा में तैनात था जबकि छोटा बेटा सुनील तोमर राजस्थान के गंगानगर में तैनात है। बेटे की शहादत पर एक तरफ बुजुर्ग पिता को गर्व है तो दूसरी ओर बेटे को खोने का गम भी है। शहीद अनिल तोमर के पिता भोपाल सिंह तोमर ने बताया कि बेटे अनिल से उनकी आखिरी बार बात 25 दिसंबर को हुई थी। उन्होंने कॉल की थी बेटे ने सिर्फ इतना कहा कि पापा बाद में बात करूंगा। शहीद के परिजनों को सांत्वना देने के लिए आज सुबह से ही राजनैतिक दलों और अन्य लोगों की भीड़ जुटी हुई है।
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क्षेत्रीय विधायक सत्यवीर त्यागी गांव में ही मौजूद हैं। उन्होंने परिजनों को सात्वना प्रदान की है। उन्होंने हरसंभव मदद का भरोसा दिया है। सेना के अधिकारी भी गांव पहुंचे है। स्थानीय पुलिस ने परिजनों से पूरी जानकारी ली है। मेरठ जिलाधिकारी भी शहीद के गांव पहुंचे और परिवारजनों के साथ बैठकर उनके दुख काे साझा करते हुए सात्वाना दी और हर संभव मदद का भराेसा दिलाया।
18 को मेरठ से वापस पुलवामा गए थे हवलदार अनिल
शहीद हवलदार के परिवार में उनके पिता भोपाल सिंह तोमर, मां कुसुम तोमर, भाई सुनील तोमर, पत्नी मीनू तोमर, पुत्री तान्या और बेटा लक्ष्य हैं। अनिल एक महीने की छुट्टी बिताकर 18 दिसंबर को ही पुलवामा लौटे थे। अब साेमवार काे एक आतंकी हमले में वह शहीद हाे गए।
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