हवा में 10 मीटर तक फैल सकता है कोरोना
केंद्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के विजयराघवन के कार्यालय के मुताबिक, कोरोना से लड़ने के लिए फेस मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग, साफ-सफाई और जरूरी वेंटिलेशन अभी भी प्रभावी तरीके हैं। एडवाइजरी में कहा गया है कि कोरोना से संक्रमित व्यक्ति के ड्रॉपलेट्स हवा में दो मीटर तक जा सकते हैं। जबकि एयरोसोल उन ड्रॉपलेट्स को 10 मीटर तक आगे बढ़ा सकता है और संक्रमण का खतरा पैदा कर सकता है। अगर किसी संक्रमित शख्स में लक्षण नहीं भी हैं तब भी उससे पर्याप्त ड्रॉपलेट्स निकल सकती हैं जिससे और लोग भी संक्रमित हो सकते हैं।
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डबल मास्क या एन95 मास्क पहनना चाहिए
एडवाइजरी में कहा गया है कि संक्रमित व्यक्ति द्वारा सांस छोड़ने, बात करने, बोलने, गाने, हंसने, खांसने या छींकने आदि के दौरान लार और नाक के जरिए ड्रॉपलेट्स और एरोसोल बन सकते हैं जो वायरस का ट्रांसमिशन फैला सकते हैं। एडवाइजरी में कहा गया है कि लोगों को डबल मास्क या एन95 मास्क पहनना चाहिए। गाइडलाइन में बताया गया है कि उन चीजों की नियमित रूप से सफाई होनी चाहिए, जिनके संपर्क में लोग ज्यादा रहते हैं। इसमें दरवाजे का हैंडल, लाइट स्विच, टेबल, कुर्सी आदि शामिल हैं।
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पंखों को लेकर भी एडवाइजरी
सरकारी की नई गाइडलाइन के मुताबिक, बंद और गैर-हवादार इनडोर जगहों में ड्रॉपलेट्स और एयरोसोल कोरोना वायरस के फैलाव के जोखिम को बहुत बढ़ा देते हैं। हालांकि विशेषज्ञ हमेशा से ये कहते आए हैं कि वेंटिलेशन वाले जगहों पर और आउटडोर जगहों पर संक्रमण के फैलने का खतरा कम रहता है। एडवाइजरी में ऑफिस, ऑडिटोरियम, शॉपिंग मॉल आदि में गैबल फैन सिस्टम और रूफ वेंटिलेटर के उपयोग की सिफारिश की गई है। इसके साथ यह भी कहा गया है कि पंखा ऐसी जगह पर लगना चाहिए जहां से किसी पास भी दूषित हवा सीधी ना पहुंच पाए। यदि किसी कमरे की खिड़कियां और दरवाजे बंद हैं, तो एग्जॉस्ट पंखे चलते रहने चाहिए। हवा का प्रवाह बना रहता है और संक्रमण का खतरा कम होता है।