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अदालत ने Arnab Goswami से कहा, मीडिया नहीं कर सकता है समानांतर जांच

सुनंदा पुष्कर मौत मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने दी हिदायत। अर्णब गोस्वामी ( Arnab Goswami ) से कहा, समानांतर जांच नहीं कर सकती मीडिया। उन्हें संयम बरतने और बेवजह बयानबाजी ना करने को भी कहा।

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Delhi HC to Arnab Goswami in Sunanda Pushkar Case

Delhi HC to Arnab Goswami in Sunanda Pushkar Case

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक न्यूज टीवी चैनल के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी ( Arnab Goswami ) को दिसंबर 2017 में अदालत को दिए गए एक वचन का पालन करने का आदेश दिया है कि वह संयम बरतने के साथ-साथ सुनंदा पुष्कर मामले को कवर करते हुए बेवजह की बयानबाजी पर भी अंकुश लगाएंगे। अदालत ने टिप्पणी की, "लोगों को पहले आपराधिक मुकदमे में एक कोर्स करना चाहिए और फिर पत्रकारिता में उतरना चाहिए।"

दिल्ली हाई कोर्ट तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने आरोप लगाया कि अर्णब गोस्वामी अदालत की अवज्ञा जारी रखना चाहते हैं। अपने आवेदन में थरूर ने मामले के संबंध में गोस्वामी को उनके खिलाफ मानहानि की टिप्पणी करने से रोकने के लिए एक अंतरिम निषेधाज्ञा मांगी।

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने पूछा कि क्या जांच एजेंसी द्वारा दायर आरोप पत्र के खिलाफ मीडिया अपील कर सकता है। उन्होंने कहा कि अदालत मीडिया को शांत नहीं करेगी लेकिन जांच की पवित्रता को बनाए रखना होगा। न्यायमूर्ति गुप्ता ने यह भी कहा कि आपराधिक मामले में साक्ष्य के बारे में निर्णय लेना कानून की अदालत पर निर्भर था।

अदालत ने कहा कि प्रतिवादियों (रिपब्लिक टीवी) को अगली सुनवाई तक उनके वकील द्वारा उनकी ओर से दिए गए बयान से बाध्य होने का निर्देश दिया गया है। थरूर के वकीलों ने अदालत को सूचित किया कि आत्महत्या के संबंध में आरोप-पत्र दायर किए जाने के दौरान, अर्णब गोस्वामी यह दावा करना जारी रखते हैं कि यह हत्या का मामला है। उन्होंने कहा कि अपनी टेलीविज़न बहसों में गोस्वामी अक्सर यह दावा करते हैं कि वे डॉ. थरूर को एक हत्यारे के रूप में उजागर करेंगे। थरूर का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता विकास पाहवा और कपिल सिब्बल ने किया।

गौरतलब है कि वर्ष 2017 में थरूर ने गोस्वामी के खिलाफ मुकदमा दायर किया था ताकि उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए मुआवजे की मांग की जा सके और सुनंदा पुष्कर की मौत के बारे में रिपोर्ट करने से गोस्वामी को रोक दिया जाए। अदालत ने गोस्वामी को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने से इनकार कर दिया था और गोस्वामी के वकील ने एक वचन लिया था कि वह मामले की रिपोर्टिंग में संयम बरतेंगे।

बता दें कि सुनंदा पुष्कर को रहस्यमय परिस्थितियों में 17 जनवरी 2014 की रात को दक्षिणी दिल्ली के एक पांच सितारा होटल के एक कमरे में मृत पाया गया था।