हिरासत में लेकर पूछताछ जरूरी ईडी ने आरोप लगाया है कि पी चिदंबरम ( P Chidambaram ) ने अपने करीबी विश्वासपात्रों और सह साजिशकर्ताओं के साथ मिलकर भारत और विदेश में शेल कंपनियों का जाल बनाया। प्रवर्तन हलफनामे में कहा गया है कि शेल कंपनियों का संचालन करने वाले लोग चिदंबरम के संपर्क में हैं।
इस मामले में हकीकत का पता केवल हिरासत में पूछताछ से ही लग सकता है। यह न केवल ईडी का देश के प्रति कर्तव्य है कि कालेधन को उजागर करे और बेनामी कंपनियों में जमा धनराशि को भी जब्त करे।
चिदंबरम ने नहीं किया सहयोग ईडी ने आरोप लगाया है कि चिदंबरम ( P Chidambaram ) ने फर्जी कंपनियों के जरिए 17 बेनामी विदेशी बैंक खाते बनवाए और 10 महंगी संपत्ति भारत और विदेशों में खरीदी। ईडी ने दिसंबर, 2018 और 1 जनवरी और 21 जनवरी 2019 में चिदंबरम से पूछताछ की लेकिन उन्होंने सहयोग नहीं किया।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में ईडी ने कहा कि चिदंबरम ( P Chidambaram ) एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं। उन्होंने खुद और अपने परिवार से दूरी बनाने के लिए शेल कंपनियों के शेयर होल्डिंग पैटर्न में बदलाव किए हैं।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की SPG सुरक्षा हटाई, अब मिलेगी सिर्फ Z+ सिक्योरिटी अग्रिम जमानत का विरोध अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का मानना है कि मनी लॉन्ड्रिंग एक गंभीर अपराध है क्योंकि भारत अंतर्राष्ट्रीय फोरम- फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स का सदस्य है। चिदंबरम पूर्व वित्त मंत्री, पूर्व गृहमंत्री हों या एक सामान्य नागरिक, अग्रिम जमानत मंजूर नहीं की जानी चाहिए।
शीर्ष अदालत आरोपी की याचिका पर विचार करती है तो यह न्याय का मखौल उड़ाना होगा। बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट में ईडी की याचिका पर सुनवाई होनी है। वहीं सीबीआई कोर्ट में भी आज चिदंबरम की रिमांड को लेकर सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम की याचिका खारिज की, कहा- गिरफ्तारी के बाद याचिका पर