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नई दिल्ली

किसानों का ऐलान- अगर सरकार ने नहीं मानी मांगें, तो मजबूरी में उठाना होगा यह कदम

मांगें पूरी न होने पर दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन तेज करेंगे किसान
भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने किया बड़ा ऐलान

नई दिल्लीDec 04, 2020 / 06:15 pm

Mohit sharma

किसानों का ऐलान- अगर सरकार ने नहीं मानी मांगें, तो मजबूरी में उठाना होगा यह कदम

किसानों का ऐलान- अगर सरकार ने नहीं मानी मांगें, तो मजबूरी में उठाना होगा यह कदम

नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन ( Protest against agricultural laws ) कर रहे किसान ( Farmer Protest ) सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का मन बना चुके हैं। किसानों ने शुक्रवार को साफ कर दिया है कि अगर सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी तो उनकी लड़ाई जारी रहेगी। फिर चाहे यह प्रदर्शन 10 दिन चले या 10 महीने। दिल्ली-गाजीपुर सीमा ( Delhi-Ghazipur border ) पर तीन कृषि कानून ( Three Agricultural Laws ) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने चेतावनी दी कि अगर 5 दिसंबर यानी शनिवार को होने वाले एक और दौर की वार्ता बेनतीजा रही तो वे दिल्ली की सड़कों पर जाम लगाकर उसकी खाद्य आपूर्ति ठप कर देंगे।

Farmer Protest: सरकार और किसानों की बातचीत बेनतीजा, अगले दौर की वार्ता 5 दिसंबर को

https://twitter.com/ANI/status/1334506220967899138?ref_src=twsrc%5Etfw

सरकार कषि कानूनों में संशोधन करना चाहती है

इस बीच भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ( Farmer leader Rakesh Tikat ) ने कहा कि किसानों को पूरा भरोसा है कि पांच दिसंबर को होने वाली बैठक में सरकार उनकी मांगों को मान लेगी। अगर वार्ता विफल होती है और सरकार किसानों की मांगें नहीं मानती तो कृषि कानूनों के खिलाफ धरना प्रर्दशन जारी रहेगा। भाकियू नेता ने कहा कि मंगलवार को सरकार और किसानों के बीच हुई बातचीत बेनतीजा रही। सरकार कषि कानूनों में संशोधन करना चाहती है, लेकिन हम इन किसान विरोधी कानूनों को पूरी तरह से वापस लेने की मांग पर कायम हैं। अगर सरकार हमारी मांगों को नहीं मानती तो हम अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे। फिलहाल हमारी नजरे शनिवार को होने वाली बैठक पर टिकी हैं।

चौथे दौर की वार्ता किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची

गौरतलब है कि विज्ञान भवन में गुरुवार को केंद्र सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच चौथे दौर की वार्ता किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची, लेकिन सरकार ने किसानों की कुछ मांगों पर अपना रुख नरम कर लिया है। हालांकि, किसानों ने तीन कृषि कानूनों को रद्द किए जाने तक विरोध प्रदर्शन को रोकने से इनकार कर दिया। चर्चा का एक और दौर शनिवार दोपहर 2 बजे के लिए रखा गया है।

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