मुंबई। गैंगस्टर के बाद राजनीति में आने वाले अरुण गवली ने महात्मा गांधी के विचारों पर आयोजित परीक्षा में टॉप किया है। नागपुर सेंट्रल जेल में आयोजित सालाना परीक्षा में उम्रकैद की सजा काट रहे गवली ने यह कारनामा किया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व राजनेता गवली ने 80 में से 74 अंक हासिल किए। इस परीक्षा में 160 कैदियों ने हिस्सा लिया था।
केरल में श्वान बना ‘भगवान’, पूरे परिवार पर नहीं गिरने दी चट्टान यह परीक्षा हर साल 1 अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर आयोजित की जाती है। इस परीक्षा का आयोजन सहयोग ट्रस्ट और सर्वोदय आश्रम के संयुक्त तत्वावधान में किया जाता है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब गवली ने अपने कारनामों से लोगों को हैरत में डाल दिया है। इससे पहले जब उसकी जिंदगी पर बॉलीवुड में फिल्म बनाई जा रही थी, गवली ने फिल्म के निर्देशक और अभिनेता को सलाह दी थी कि वे बड़े पर्दे पर उसे ‘हीरो’ के रूप में पेश न करें।
मॉडल से अभिनेता बने अर्जुन रामपाल से मुलाकात के दौरान गवली ने उनसे कहा था कि यह अधिकांश हिंदुस्तानियों की कहानी है जो जिंदा रहने के लिए किसी भी स्तर तक चले जाते हैं। गवली अपनी जिंदगी की कहानी को इसी तरह दिखाया जाना चाहता था।
अहमदाबादः पीएचडी की प्रवेश परीक्षा के पर्चे में हर जवाब का था एक ही उत्तर हाल ही में फिक्की फ्रेम्स 2017 में निर्देशक अशिम अहलूवालिया के साथ मौजूद अर्जुन रामपाल ने गवली से अपनी व्यक्तिगत मुलाकात का अनुभव बांटते हुए कहा था, “जब अरुण गवली पैरोल पर बाहर आया और हमारी मुलाकात हुई, तब उसने कहा कि वो एक हीरो के रूप में नजर नहीं आना चाहता। उसने कहा कि जैसी उसकी कहानी है वैसे ही दिखाई जाए।” गवली पर बनी फिल्म जुलाई 2017 में रिलीज हुई थी।
वर्ष 2008 में शिव सेना विधायक कमलाकर जमसंदेकर की हत्या के आरोप में गवली को अगस्त 2012 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। अखिल भारतीय सेना के संस्थापक गवली को मुंबई सेशन कोर्ट ने सजा सुनाई थी। गवली को मुंबई में साकी नाका पुलिस ने गिरफ्तार किया था। गवली के ऊपर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 149, 120B और महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट (मकोका) की धारा 3(1), 3(2) और 3(4) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। बता दें कि बायकुल्ला के दग्डी चॉल में गवली को डैडी के नाम से जाना जाता था।
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