ईसीजी में गलत रिपोर्ट थी पत्नी का कहना कि वह जब अस्पताल में अपने पति को लेकर पहुंची थीं तो डॉक्टरों ने उन्हें ईसीजी कराने को कहा। उस दौरान ईसीजी रिपोर्ट को डॉक्टरों ने नार्मल बताया और उनका दर्द कम करने के लिए इजेक्शन देने शुरू कर दिए। डॉक्टरों ने हार्ट अटैक के लक्षण को नजरअंदाज कर दिया। करीब 45 मिनट तक उनके पति को डॉक्टरों ने अटेंड तक नहीं किया। वह डॉक्टरों को उन्हें देखने के लिए कहती रहीं, मगर किसी ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया।
मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की राय ली राष्ट्रीय उपभोक्ता निवारण आयोग ने फैसला देने से पहले मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की राय ली है। यहां के डॉक्टरों का कहना है कि जग्गी की मेडिकल रिपोर्ट से साबित होता है कि उनकी स्थिति उस दौरान ठीक नहीं थी। उन्हें तुरंत आपात सेवाएं मुहैया कराई जानी चाहिए थीं। आयोग का कहना है कि मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट के बाद यह साबित हो गया कि मैक्स के डॉक्टरों ने इलाज में लापरवाही बरती थी। वहीं मैक्स के प्रवक्ता का कहना है कि अभी उनके पास इस तरह का कोई निर्देश नहीं आया है। इसलिए वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। हालांकि इस तरह का कोई निर्देश अगर उनके सामने आता है, तो वह अपनी तरफ इसके खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता निवारण आयोग में अपील करेंगे।