दिल्ली उच्च न्यायालय ने 12 जुलाई को निचली अदालत के उस आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें वित्त मंत्रालय, नगर विकास मंत्रालय, कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय, दिल्ली विकास प्राधिकरण तथा कंपनी रजिस्ट्रार से हेराल्ड हाउस से संबंधित दस्तावेज सौंपने का आदेश दिया गया था।
उच्च न्यायालय ने कहा कि दूसरे पक्ष की सुने बिना आदेश को पारित कर दिया गया था। साथ ही स्वामी को उस याचिका को लेकर दोबारा निचली अदालत जाने को कहा गया।
स्वामी ने यंग इंडियन द्वारा एजेएल के अधिग्रहण में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई है। एजेएल नेशनल हेराल्ड नामक समाचार पत्र का प्रकाशन करती थी। बाद में यंग इंडियन ने एजेएल का अधिग्रहण कर लिया था, जिसमें सोनिया व राहुल गांधी के कुल 76 फीसदी शेयर थे।
स्वामी ने उनपर कथित तौर पर धोखाधड़ी व पैसों की हेरफेरी का आरोप लगाया है। उनका आरोप है कि मात्र 50 लाख रुपये में कंपनी बनाकर यंग इंडियन ने 90.25 करोड़ रुपये वसूलने का अधिकार प्राप्त कर लिया, जो नियमों के खिलाफ है।
स्वामी की शिकायत पर निचली अदालत द्वारा जारी सम्मन को खारिज करने के लिए सोनिया व राहुल गांधी की याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2015 में खारिज कर दिया था।