कानून के जानकारों का कहना है कि फांसी से बचने और मामले में देरी करने के जिस उद्देश्य से पवन ने मात्र दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी वो पूरा होता नहीं दिख रहा। ऐसा इसिलिए कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार की शाम को दाखिल हुई क्यूरेटिव याचिका को अगले ही कार्य दिवस सोमवार को सुबह नियमित अदालत बैठने से पांच मिनट पूर्व चैम्बर में सुनवाई के लिए लगा लिया था।
क्यूरेटिव याचिका पर न्यायाधीश चैम्बर में सर्कुलेशन के जरिए विचार करते हैं। पवन गुप्ता की क्यूरेटिव याचिका पर न्यायमूर्ति एनवी रमना, अरुण मिश्रा, आरएफ नारिमन, आर भानुमती और अशोक भूषण ने विचार किया।
बजट सत्र का दूसरा चरण आज से शुरू होगा, संसद में गूंज सकता है दिल्ली हिंसा का मुद्दा पवन ने शुक्रवार की शाम सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी और उसके बाद शनिवार को उस याचिका को आधार बनाकर पटियाला हाउस अदालत में अर्जी देकर तीन मार्च का डेथ वारंट निरस्त करने की मांग की थी। पटियाला हाउस अदालत ने पवन की अर्जी पर तिहाड़ जेल प्रशासन से जवाब मांगा है। पटियाला हाउस कोर्ट में भी सोमवार को ही सुनवाई होगी।
पवन ने उस अर्जी में सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका लंबित होने का आधार दिया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में सुबह 10.25 पर ही याचिका पर सुनवाई हो जाने से पटियाला हाउस अदालत में पवन की ओर से मामला लंबित रहने की दी गई दलील शायद उस वक्त तक बची न रहे।
पवन गुप्ता ने इसके अलावा अभी तक राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल नहीं की है। संभव है कि वह क्यूरेटिव याचिका पर फैसला आने के बाद राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल करे। वैसे निचली अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सभी दोषियों को कानूनी विकल्प अपनाने के लिए दिये गए सात दिनों की अवधि समाप्त होने के बाद ही तीन मार्च का डेथ वारंट जारी किया था।
दिल्ली हिंसाः ख्याला में सट्टेबाजों के ठिकानों पर रेड से मची भगदड़, लोगों ने फैलाई हिंसा की अफवाह, 2 इसके अलावा बाकी के तीन दोषी मुकेश, अक्षय और विनय के कानूनी विकल्प समाप्त हो चुके हैं। तीनों की क्यूरेटिव याचिका तक सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुकी है। इसके बाद राष्ट्रपति उनकी दया याचिका भी ठुकरा चुके हैं।
इस सबके बावजूद दोषी अक्षय सिंह ने राष्ट्रपति के समक्ष नई दया याचिका दाखिल की है। उसे आधार बनाकर उसने भी पटियाला हाउस अदालत मे अर्जी दाखिल कर तीन मार्च का डेथ वारंट निरस्त करने की मांग की है। अक्षय का कहना है कि पहली दया याचिका में पर्याप्त तथ्य न होने के कारण खारिज हो गई थी। वह याचिका अपूर्ण थी इसलिए अब उसने उन सब खामियों को दूर करके नयी दया याचिका दाखिल की है। अक्षय की अर्जी पर भी पटियाला हाउस अदालत मे सोमवार को सुनवाई होनी है।
गृहमंत्री अमित शाह का बड़ा ऐलान- सुरक्षाबल के जवानों को साल में 100 दिन परिवार के साथ रहने का मिलेगा दूसरी तरफ उधर केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अलग से एक याचिका दाखिल कर सभी दोषियों को साथ फांसी देने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दे रखी है। सरकार का कहना है कि जिन दोषियों के कानूनी विकल्प समाप्त हो चुके हैं उनकी सजा पर अमल की इजाजत दी जाए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि इस याचिका के लंबित रहने का निचली अदालत से दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी होने पर असर नहीं पड़ेगा। केन्द्र की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पांच मार्च तक के लिए सुनवाई टाल दी थी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट सोमवार को निर्भया मामले के चार दोषियों में से एक पवन कुमार गुप्ता की क्यूरेटिव पिटीशन पर सोमवार को सुनवाई करेगा। पवन ने मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग को लेकर क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की है। चारों के खिलाफ डेथ वॉरंट जारी हो चुका है। 17 फरवरी को कोर्ट ने तीसरा डेथ वॉरंट जारी किया था।
गृहमंत्री अमित शाह का बड़ा ऐलान- सुरक्षाबल के जवानों को साल में 100 दिन परिवार के साथ रहने का मिलेगा फांसी दिए जाने से दो दिन पहले रविवार को दोषी पवन ने सुप्रीम कोर्ट से उसकी क्यूरेटिव पिटीशन पर खुली अदालत में सुनवाई की मांग की। रविवार को पवन के वकील एपी सिंह ने कहा- यह मामला मौत की सजा से संबंधित है, इसलिए इसकी सुनवाई ओपन कोर्ट में होनी चाहिए।