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दिल्ली के सरकारी स्कूल में नफरत की नर्सरीः हिंदू-मुस्लिम बच्चों के लिए बने अलग-अलग सेक्शन

प्राचार्य चंद्रभान सिंह सहरावत ने यह बात मानी कि बच्चों को बांटा गया है लेकिन इसका आधार हिंदू-मुसलमान कैसे हुआ? इसका उन्होंने गोलमोल जवाब दिया।

नई दिल्लीOct 10, 2018 / 06:46 pm

प्रीतीश गुप्ता

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दिल्ली के सरकारी स्कूल में नफरत की नर्सरीः हिंदू-मुस्लिम बच्चों के लिए बने अलग-अलग सेक्शन

नई दिल्ली। दिल्ली में शिक्षा तंत्र पर एक ही दिन में दूसरा बड़ा दाग लगा है। प्राइवेट स्कूलों पर शिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन करने के बाद अब सरकारी स्कूल पर बच्चों को धर्म के आधार पर अलग-अलग सेक्शन में बिठाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। वजीराबाद के एक सरकारी स्कूल के प्राचार्य पर आरोप बच्चों का धार्मिक आधार पर वर्गीकरण करने का गंभीर आरोप लगा है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने इस मामले में जांच का आदेश दिया है। इस संबंध में दिल्ली सरकार ने भी जांच के आदेश दिए हैं। वहीं उत्तरी दिल्ली के मेयर आदेश गुप्ता ने कहा कि दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
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मजहबी आधार पर बंटे हैं आठ सेक्शन

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहली से पांचवी कक्षा तक के इस सरकारी स्कूल में कुल 17 सेक्शन हैं। इनमें से आठ सेक्शन ऐसे हैं जहां मजहबी आधार पर बच्चों को बांटा गया है। प्राचार्य चंद्रभान सिंह सहरावत ने यह बात मानी कि बच्चों को बांटा गया है लेकिन इसका आधार हिंदू-मुसलमान कैसे हुआ? इसका उन्होंने गोलमोल जवाब दिया। उन्होंने कहा कि हमने बच्चों को अलग-अलग सेक्शंस में बांटा जरूर है लेकिन इसके पीछे धर्म कोई आधार नहीं है और न ही ऐसी कोई सोच है।’
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शिक्षकों ने जताई थी आपत्ति, मिला उल्टा जवाब

रिपोर्ट्स के मुताबिक स्कूल के शिक्षकों ने प्राचार्य के इस कदम पर आपत्ति भी जाहिर की थी। प्राचार्य से जब पूछा गया कि आप किस आधार पर सेक्शन बांट कर रहे हैं तो उन्होंने कहा, ‘यह मेरा अधिकार है, मैं जैसे चाहूं कर सकता हूं। आपको पढ़ाने से मतलब है।’ फिलहाल इस मामले में शिक्षा निदेशालय या सरकार की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं आई है। यह तो जांच के बाद ही साफ होगा कि जानबूझकर किया गया या इत्तेफाक से हुआ। लेकिन बच्चों के मन में नफरत करने वाले इस कदम की हर जगह आलोचना हो रही है।

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