संसद की कार्यवाही में गतिरोध के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष आमने-सामने
संसद में संविधान के अनुच्छेद 342-ए और 366 (26) सी के संशोधन पर अगर मुहर लग जाती है, तो इसके बाद राज्यों के पास ओबीसी सूची में अपनी मनमुताबिक जातियों को अधिसूचित करने का अधिकार मिल जाएगा। महाराष्ट्र में मराठा समुदाय, हरियाणा में जाट समुदाय, गुजरात पटेल समुदाय और कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को ओबीसी वर्ग में शामिल होने का मौका मिल सकता है। लंबे समय से ये जातियां आरक्षण की मांग कर रही हैं। इनमें मराठा समुदाय को महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने आरक्षण भी दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने गत 5 मई को इसे खारिज कर दिया था।पिछड़ा वर्ग को सरकार दे सकती है सौगात, राज्यों में लगेगी आरक्षण बिल पर मुहर
सुप्रीम कोर्ट ने तीन और दो के बहुमत से 102वें संशोधन को सही बताया था। बहुमत से 102वें संविधान संशोधन को वैध करारा दिया गया, लेकिन कोर्ट ने कहा कि राज्य सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग यानी एसईबीसी की सूची तय नहीं कर सकती बल्कि, केवल राष्ट्रपति उस सूची को अधिसूचित कर सकते हैं।हरियाणा और बिहार ईडब्ल्यूएस कोटे के साथ 60 प्रतिशत, तेलंगाना सरकार 50 प्रतिशत, गुजरात में ईडब्ल्यूएस कोटे के साथ 59 प्रतिशत, केरल में 60 प्रतिशत, तमिलनाडु में 69 प्रतिशत है।