कोर्ट ने चिदंबरम को हिरासत में भेजा
दरअसल, सीबीआई की विशेष अदालत में जज अजय कुमार के सामने पी चिदंबरम को सीबीआई ने पेश किया। यहां पर दोनों पक्षों की तमाम दलीलों को सुनने के बाद जज ने शाम को फैसला सुरक्षित रख लिया और आधे घंटे बाद सुनाने की घोषणा की। तकरीबन शाम 6.30 बजे तय वक्त से एक घंटे बाद फैसला सुनाया गया।
चुप रहना अधिकारी, सच छिपाना गलत- SG
अदालत में सीबीआई की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि एफआईआर में संक्षिप्त आरोप हैं। उनसे बात करने के लिए वक्त चाहिए। इस मामले में एफआईपीबी के नियमों का उल्लंघन किया गया है। उन्होंने कहा कि चिदंबरम ने जांच में सहयोग नहीं किया। वह चुप्पी साधे रहे। चुप रहना अधिकार है लेकिन सच छिपाना गलत है। इसलिए हिरासत में लेकर चिदंबरम से सही तरीके से पूछताछ हो सकेगी।
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कांग्रेस के चार दिग्गज वकील रहे मौजूद
वहीं, पूर्व वित्त मंत्री की ओर से देश के चार दिग्गज वकील मुकदमा लड़ने के लिए पहुंचे थे। जहां पी चिदंबरम स्वयं एक वरिष्ठ वकील रहे हैं, उनकी ओर से जमानत लेने के लिए कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद, अभिषेक मनु सिंघवी और विवेक तन्खा जैसे बड़े अधिवक्ता पैरवी करने पहुंचे थे।
अदालत में सिब्बल ने चिदंबरम को हिरासत में लेने का विरोध जताते हुए दलील दी कि केस के बाकी आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। कार्ति चिदंबरम, इंद्राणी, पीटर मुखर्जी जमानत पर हैं। प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई ने जब-जब चिदंबरम को बुलाया, वह गए। लेकिन क्यों 2017 के बाद से सवाल नहीं पूछे गए।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि सीबीआई और ईडी की पूछताछ से चिदंबरम कभी नहीं भागे, लेकिन अभी पूछताछ के लिए सीबीआई के पास सवाल नहीं थे। उन्होंने चिदंबरम की हालत के बारे में कहा कि वह पिछले 24 घंटों से सोए नहीं हैं।
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सिंघवी ने कोर्ट से चिदंबरम को बोलने की वकालत की
इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने चिदंबरम का पक्ष रखते हुए कहा कि चिदंबरम को बोलने की इजाजत मिले। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बोलने की इजाजत का विरोध किया, तब जज ने चिदंबरम से पूछा क्या आपके पास बोलने के लिए कुछ है।
सिंघवी ने कहा कि जून 2018 में सीबीआई ने पूछताछ की थी। पूरा मामला इंद्राणी के बयान पर निर्भर करता है। फैसले को मंजूरी देने वालों को आरोपी बनाया गया है। फैसला करने वाले 6 लोग गिरफ्तार नहीं हुए। सीबीआई इतनी परेशान क्यों हैं। पूरे केस में सीबीआई का रवैया ही गलत है। सीबीआई ने 11 महीने तक चिदंबरम को फोन नहीं किया। सीबीआई ने 14 महीने में 1 बार बुलाया। 11 साल बाद चिदंबरम को गिरफ्तार किया गया। सीबीआई अचानक गिरफ्तारी पर अमादा क्यों है।
उन्होंने कहा कि दरअसल चिदंबरम वो जवाब नहीं देंगे जो सीबीआई पूछना चाहती है। आरोपी को जो जवाब देना है वही देगा। फरवरी 2018 में इंद्राणी ने बयान दिया था। सिर्फ इंद्राणी मुखर्जी के बयान को आधार बनाया गया।