scriptबड़ा सवाल : कोवैक्सीन के दाम तय करने पर कंपनी का ही हक क्यों ? | Why the company has the right to fix the price of covaxin ? | Patrika News

बड़ा सवाल : कोवैक्सीन के दाम तय करने पर कंपनी का ही हक क्यों ?

locationनई दिल्लीPublished: Apr 27, 2021 01:32:30 pm

– ऑक्यूजेन फर्म से दस करोड़ खुराक का समझौता…- भारत बायोटेक को सरकार ने सहायता दी है तो फिर वैक्सीन के दाम व मुनाफे पर अकेला उसका हक कैसे हो सकता है?

बड़ा सवाल : कोवैक्सीन के दाम तय करने पर कंपनी का ही हक क्यों ?

बड़ा सवाल : कोवैक्सीन के दाम तय करने पर कंपनी का ही हक क्यों ?

नई दिल्ली । देश में 18 साल की उम्र से ज्यादा के लोगों को एक मई से वैक्सीन लगाने की घोषणा के बाद अचानक से सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक ने वैक्सीन के दाम बढ़ाने का ऐलान कर दिया। यह ऐलान प्रधानमंत्री के साथ बैठक के बाद हुआ। हालांकि बढ़े हुए दामों पर केंद्र सरकार से लेकर कंपनियों की भूमिका तक पर सवाल खड़े हो रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि जब कोवैक्सीन की रिसर्च से लेकर उत्पादन तक में भारत बायोटेक को सरकार ने सहायता दी है तो फिर वैक्सीन के दाम व मुनाफे पर अकेला उसका हक कैसे हो सकता है?

विशेष लाइसेंस जारी, फिर भी बढ़ाए दाम –
सीरम व स्वीडिश-ब्रिटिश फर्म की कीमतें बढ़ाने की वजह लाइसेंस व अन्य टैक्स हैं, पर कोवैक्सीन सरकारी वित्त पोषित अनुसंधान के तहत विकसित की गई है। इसके लिए विशेष लाइसेंस जारी किया। कई तरह के टैक्स में छूट मिली है। भारत बायोटेक ने आधिकारिक तौर पर राज्य सरकारों को प्रति डोज 600 व निजी अस्पतालों को 1,200 रुपए में तय की है।

ये सवाल-
भारत बायोटेक व आइसीएमआर के बीच अनुबंध का आधार और क्या शर्तें थीं?
वैक्सीन विकसित करने व क्लिनिकल परीक्षण व निर्माण में खर्च धनराशि का स्रोत क्या है? सार्वजनिक स्रोत से कितनी राशि आई?

17 अप्रैल को कोवैक्सीन के उत्पादन के लिए भारत सरकार ने मुंबई में हाफकीन इंस्टीट्यूट सहित तीन नई फर्मों को अनुमति दी। आखिर इन फर्मों को वैक्सीन के उत्पादन का लाइसेंस किसने दिया?

भारत बायोटेक ने अमरीका में कोवैक्सीन की 10 करोड़ खुराक की आपूर्ति के लिए ऑक्यूजेन फर्म से समझौता किया है। सवाल है कि क्या इससे आइसीएमआर को मुनाफा मिलेगा? इन संस्थानों ने वित्तीय सहायता की : वैक्सीन को लेकर छह में से चार पत्रों में स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय, पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, आइसीएमआर से वित्तीय सहायता देने की बात कही गई है। इसमें आइसीएमआर निदेशक डॉ. बलराम भार्गव के हस्ताक्षर हैं।

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