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ग्लोबल वार्मिंग का असर, ग्रीनलैंड में 24 घंटे में पिघली 1100 करोड़ टन बर्फ

एक महीने में समुद्र का जल स्तर 0.1 मिलीमीटर या 0.02 इंच बढ़ने की आशंका है
पिघला हुआ हिस्सा 40 लाख से अधिक ओलंपिक पूल के पानी के बाराबर था

नई दिल्लीAug 03, 2019 / 01:59 pm

Mohit Saxena

glacier
वाशिंगटन। ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान में लगातार बढोतरी देखने को मिल रही है। इसके कारण उत्तर अटलांटिक महासागर स्थित ग्रीनलैंड में बर्फ का पिघलना तेज हो गया है। इसके चलते यहां पर एक दिन में 1100 करोड़ टन बर्फ की चादर पिघल गई। इसके कारण एक महीने में समुद्र का जल स्तर 0.1 मिलीमीटर या 0.02 इंच बढ़ने की आशंका है।
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वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पिघला हुआ हिस्सा 40 लाख से अधिक ओलंपिक पूल के पानी के बाराबर था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ग्रीनलैंड ( Greenland ) में बर्फ की चादर के पिघलने की दर इससे पहले कभी भी इतनी तेज नहीं थी।
मई से पिघलने वाली बर्फ की चादर अभी तक काफी तेजी पानी में तब्दील हो रही है।
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वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार ग्लोबल वार्मिंक की वजह से जुलाई का माह काफी गर्म रहा है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं। 22 डिग्री सेल्सियस तापमान है और सिर्फ 24 घंटों में 1200 करोड़ टन बर्फ पिघल गई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस साल सबसे ज्यादा बर्फ पिघली है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस साल संभावित पिघलने की दर 6 से 7 हजार करोड़ टन है, जो कि बहुत ज्यादा है।
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