ट्रंप के इस बयान के बाद यह तय हो गया है कि ईरान की एक हिमाकत उस पर भारी पड़ सकती है। अमेरिका-ईरान तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। यह बयान मध्य पूर्व में तेहरान के लिए चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। अमरीका लगातार इस क्षेत्र में अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ा रहा है। हाल ही में सऊदी अरब के दो तेल टैंकरों को यूएई के समुद्री तट के पास निशाना बनाया गया। हालांकि, किसी देश ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली। मगर माना जा रहा है कि हौती विद्रोहियों ने इस काम को अंजाम दिया था। कयास लगाए जा रहे हैं कि अमरीकी पाबंदियों से परेशान ईरान इस तरह के हमलों को करा रहा है।
संकट की घड़ी में ईरान चीन और भारत की तरफ देखता है। मगर इस बार सब कुछ बहुत आसान नहीं है। चीन के खिलाफ ट्रंप प्रशासन ने पहले से ही ट्रेड वॉर छेड़ रखा है। ईरान में लगातार बदतर स्थितियां होती जा रही हैं। ईरान की मुद्रा रियाल इतिहास के सबसे निचले स्तर पर है। एक डॉलर के बदले एक लाख से ज़्यादा रियाल देने पड़ रहे हैं।
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इराक की तरह ईरान को करेगा बर्बादमीडिया रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में ईरान के पूर्व राजदूत अली ख़ुर्रम के बयान को एक अखबार ने छापा था। जिसमें उन्होंने कहा था कि जिस तरह अमरीका ने इराक में सद्दाम हुसैन की सरकार को उखाड़ फेंका, उसी तरह से ईरान के लिए भी अमरीका ने योजना बनाई है। अमरीका ने इराक में यह काम तीन स्तरों पर किया था और ईरान में भी वैसा ही करने वाला है। पहले प्रतिबंध लगाएगा, फिर तेल और गैस के आयात को पूरी तरह से बाधित करेगा और आख़िर में सैन्य कार्रवाई करेगा।
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