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Shocking News : कैसे तिल-तिल जीने को मजबूर हैं मैट्रो सिटी में रहने वाली कामकाजी महिलाएं, जानें यहां…!

locationमुंबईPublished: Sep 19, 2019 01:12:12 am

Submitted by:

Rajesh Kumar Kasera

Mumbai News : सर्वेक्षण (Serve) में सामने आए चौंकाने वाले कई तथ्य (Facts)

बच्चों (Children in panic) को पर्याप्त समय नहीं दे पाती हैं मेट्रो शहरों (Metro City Woman) में रहने वाली माताएं
महानगरों (Rush of Metro Cities) के मुकाबले छोटे शहरों में रहने वाली माताएं ज्यादा खुश
नौकरी और यात्रा के चलते तनावग्रस्त (Stressful Life) रहती हैं बड़े शहरों की महिलाएं

Shocking News : कैसे तिल-तिल जीने को मजबूर हैं मैट्रो सिटी में रहने वाली कामकाजी महिलाएं, जानें यहां...!

Shocking News : कैसे तिल-तिल जीने को मजबूर हैं मैट्रो सिटी में रहने वाली कामकाजी महिलाएं, जानें यहां…!

मुंबई. गरीबी और बेरोजगारी के बोझ से दबी घरेलू अर्थव्यवस्था में महिलाओं की हिस्सेदारी अहम हो गई है। आज बेटियां न सिर्फ पढ़ रही हैं, बल्कि अपनी काबिलियत के दम पर उपलब्ध अवसरों को लपक भी रही हैं। नतीजतन शहरों में कामकाजी महिलाओं-माताओं की संख्या बढ़ी है। अब सवाल उठता है कि नौकरी करने वाली माताएं खुश हैं या नहीं। सवाल यह भी कि यह महिलाएं अपने बच्चों को पर्याप्त समय दे पाती हैं या नहीं। दो राय नहीं कि घर-गृहस्थी की जिम्मेदारी संभालते हुए नौकरी करने वाली अधिकांश महिलाएं अपनी कामयाबी पर खुश हैं। तथ्य यह भी है कि महानगरों के मुकाबले छोटे शहरों की कामकाजी महिलाएं ज्यादा खुश हैं।

डायमंड प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (डीपीए) के सहयोग में देश के सबसे बड़े यूजर प्लेटफॉर्म मॉम्सप्रेसो द्वारा कराए गए मॉम्स हैप्पीनेस इंडेक्स, 2019 सर्वेक्षण में यह नतीजा सामने आया है। इस सर्वेक्षण में 2000 से ज्यादा कामकाजी महिलाओं-माताओं की राय को शामिल किया गया है। सर्वे का निष्कर्ष यह है कि छोटे शहरों के मुकाबले महानगरों में नौकरी करने वाली महिलाएं ज्यादा तनावग्रस्त रहती हैं। इसकी वजह काम का दबाव और कार्यस्थल पहुंचने में लगने वाला लंबा समय है। भाग-दौड़ के चलते मेट्रो शहरों की माताएं अपने बच्चों को पर्याप्त समय भी नहीं दे पाती हैं।
निकाला गया यह निष्कर्ष

सर्वे के निष्कर्ष अनुसार, गैर-मेट्रो में रहने वाली 66 प्रतिशत माताओं का हफ्ते में दो-तीन बार अपने पति के साथ क्वालिटी टाइम गुजरता है। वहीं मेट्रो में रहने वाली 55 प्रतिशत माताओं के साथ ही ऐसा होता है। इतना ही नहीं, नॉन-मेट्रो में रहने वाली 72 प्रतिशत माताओं ने माना कि उन्हें बच्चों को अनुशासित करने में अपने पति का सहयोग मिलता है, जबकि मेट्रो में रहने वाली सिर्फ 63 प्रतिशत माताओं का ही ऐसा अनुभव रहा। इसके अलावा, गैर-मेट्रो में रहने वाली 69 प्रतिशत माताओं ने कहा कि वे अपनी शादी से खुश हैं, जबकि मेट्रो में रहने वाली सिर्फ 56 प्रतिशत माताओं ने ऐसा कहा।
बच्चों के लिए रोल मॉडल

मॉम्सप्रेसो के सीईओ विशाल गुप्ता ने कहा कि किसी भी मां की खुशी का निर्धारण करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है वित्तीय आत्मनिर्भरता। सर्वेक्षण में शामिल 80 प्रतिशत माताओं ने अपने बच्चों के लिए अच्छा रोल मॉडल बनने के लिए आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने की इच्छा व्यक्त की। इसके अलावा वे अपनी खुद की पहचान को बढ़ाने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए वित्तीय स्वतंत्रता चाहती हैं। छोटे शहरों की ज्यादातर महिलाओं ने माना कि ससुराल में उन्हें हर तरह का सहयोग मिला।
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