scriptMaharastra Election : सिर्फ एक सवाल का जवाब बाकी, कौन करेगा राज महाराष्ट्र की सत्ता पर | Maharashtra will elect a new Assembly on 21 October | Patrika News
मुंबई

Maharastra Election : सिर्फ एक सवाल का जवाब बाकी, कौन करेगा राज महाराष्ट्र की सत्ता पर

क्या भाजपा ( BJP ) का ‘अबकी बार 220 पार’ का नारा ( NARA ) सही साबित होगा?
विपक्षी दलों कांग्रेस ( Congress )-एनसीपी ( NCP ) से ज्यादा भाजपा ने झोंकी चुनाव में ताकत
राजनीतिक दलों ( Political Parties ) का काम पूरा, अब बारी प्रदेश ( Maharastra ) के मतदाताओं की

मुंबईOct 21, 2019 / 12:32 am

Rajesh Kumar Kasera

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राजेश कसेरा

मुंबई. महाराष्ट्र में पांच साल तक सत्ता के सिंहासन पर दम-खम से राज करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने इस बार 220 विधानसभा सीटों को जीतने का लक्ष्य तय किया है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या भाजपा का यह सपना पूरा हो पाएगा? प्रदेश में चुनाव प्रचार अंतिम दौर में पहुंच गया है। सत्ता से लेकर विपक्ष तक ने यह गणित लगाना शुरु कर दिया है कि किसको-कितनी सीटें मिलेंगी और कौन प्रदेश में सरकार बनाएगा। यहां तक की सट्टा बाजार और राजनीतिक पंडित भी अपने-अपने हिसाब से आंकड़े देने में जुटे हैं। कोई भाजपा-शिवसेना गठबंधन को 200 सीटें देने के कयास लगा रहा है तो कहीं से दो तिहाई बहुमत तक पहुंचने के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन, किसी भी विश्लेषण या आकलन में भाजपा-शिवसेना महायुति की झोली में 220 सीटों को नहीं डाला।
Maharastra Election : सिर्फ एक सवाल का जवाब बाकी, कौन करेगा राज महाराष्ट्र की सत्ता पर
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ऐसे में विकास यात्रा में दिए गए इस विशेष नारे का धरातल पर सच क्या होगा, इस पर सबकी नजर रहेगी। वह इसलिए भी, क्योंकि भाजपा ने सत्ता वापसी के लिए यहां पूरा जोर लगा दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नौ बड़ी सभाएं कीं तो पार्टी अध्यक्ष और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 20 चुनावी रैलियों को संबोधित किया। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने भी 47 सभाओं में जनता को पिछले पांच साल के कामकाज गिनाए। तमाम तरह के प्रयासों को चुनाव प्रचार में झोंकने के बाद अब परिणाम मतदाताओं के पाले में आ गए हैं। प्रदेश के जनता 21 अक्टूबर को सभी राजनीतिक दलों का भविष्य इवीएम मशीनों में कैद कर देगी। इसके बाद 24 अक्टूबर को सामने आएगा कि किसके सपने साकार हुए और किसके टूट गए?
महाराष्ट्र #सिंधुदुर्ग जिले के विस्तीर्ण समुद्रकिनारे वालू से तैयार #मतदाताजनजागृति. मालवण, देवगड वेंगुर्ल्या के छात्रों ने बालू शिल्प से इसे तैयार किया है

कांग्रेस के क्षत्रप फंस गए अपने क्षेत्रों में

चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक चव्हाण, यशवंतराव चव्हाण जैसे बड़े नेता अपनी चुनावी सीट को बचाने में लगे रहे तो संजय निरुपम और मिलिंद देवड़ा जैसे दिग्गज नेताअों के गुट खुलकर आमने-सामने आ गए। इससे पार्टी की छवि को धक्का पहुंचने के साथ ही चुनावी रणनीति भी ध्वस्त हो गई। इतना ही नहीं, कांग्रेस और एनसीपी के बड़े नेता और कार्यकर्ता पाला बदल कर भाजपा और शिवसेना में चले गए। इससे भी दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता हतोत्साहित हो गए।
मराठा आरक्षण का कार्ड कितना कारगर

राज्य सरकार ने मराठाओं को 12 फीसदी आरक्षण देने की पेशकश कर मराठा वोटरों को लुभाने का बड़ा दांव खेला। क्योंकि प्रदेश में करीब 31 फीसदी मराठा वोट हैंं। हालांकि मराठा आरक्षण का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में है, लेकिन आरक्षण के वादे ने मराठाओं को कांग्रेस-राकांपा गठबंधन से दूर कर भाजपा के पास लाने का काम जरुर किया। इधर, जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने से हिन्दू वोटर भी भाजपा-शिवसेना के साथ आ गए हैं। इसी तरह से बरसों से सूखा झेल रहे महाराष्ट्र को इस बार बेहतर मानसून ने भी किसानों को खासी राहत मिली। राज्य के जलाशय लबालब भरे हैं और किसानों को अच्छी पैदावार की उम्मीद है।
पीएमसी बैंक घोटले का असर पड़ेगा

मतदान से ठीक पहले राज्य में सामने आए पीएमसी बैंक घोटाले ने भी हजारों मतदाताओं के दिलों पर गहरा आघात पहुंचाया है। गाढ़े पसीने की कमाई फंसने से इसका असर मतदान पर पड़ सकता है। मुंबई की चार विधानसभा सायन-कोलीवाडा. अंधेरी पूर्व,. मुलुंड और घाटकोपर पूर्व में इसका बड़ा असर देखने को मिल सकता है।
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