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Maharastra Election : ग्राउंड रिपोर्ट : वर्धा में आखिरी समय में बदलते दिख रहे सियासी समीकरण

locationमुंबईPublished: Oct 19, 2019 11:58:53 pm

Submitted by:

Binod Pandey

वर्धा में आखिरी समय में बदलते दिख रहे सियासी समीकरण
गंभीर सवाल, क्या कांग्रेस-एनसीपी का हो सकता है सूपड़ा साफ
भाजपा ने खेले कई राजनीतिक दांव, विपक्षियों को पड़ेगा भारी

Maharastra Election : ग्राउंड रिपोर्ट : वर्धा में आखिरी समय में बदलते दिख रहे सियासी समीकरण

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शिव शर्मा

वर्धा. महाराष्ट्र में वर्धा जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों में आखिरी पड़ाव में पहुंचा चुनाव का माहौल करवट बदल रहा है।
शुरुआत में जिस उम्मीदवार को जनता का समर्थन मिलता दिख रहा था, वह ऐनमौके पर जातिगत समीकरण और घर के भेदियों के कारण पिछड़ता दिख रहा है। फिर भी पिछले चुनाव का 2-2 का स्कोर इस बार 4-0 की सम्भावना से इंकार नहीं कर रहा।वर्धा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी पंकज भोयर और कांग्रेस के पूर्व नगर अध्यक्ष शेखर शेंडे के बीच मुकाबला है। भोयर ने 2014 में युवक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में प्रवेश किया और मोदी लहर के बीच आसानी से चुनाव जीत गए। भोयर के खिलाफ अलग-अलग चुनाव लडऩे वाला विरोधी खेमा इस बार कांग्रेस के साथ हैं। जातिगत समीकरण को देखते हुए भाजपा को आसान लगने वाली जीत मुश्किल नजर आ रही है। वर्धा सीट से 1995 से 2004 तक प्रमोद शेंडे जीतते आए हैं। 2009 में निर्दलीय सुरेश देशमुख ने चुनाव जीता था।

आर्वी में जनता के मूड का किसी को नहीं पता

आर्वी क्षेत्र में 1995 और 1999 डॉ. शरद काले ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था। इसके बाद अमर काले ने 2004 में चुनाव जीता, 2009 में भाजपा के दादाराव केचे ने पहली बार कांग्रेस के गढ़ में भाजपा का कमल खिलाया, जबकि 2014 में अमर काले ने मोदी लहर के बावजूद भाजपा उम्मीदवार दादाराव केचे को पराजित किया था। फिर से दादाराव केचे और अमर काले के बीच कड़ा मुकाबला है। भाजपा में अंदरूनी कलह के चलते केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के करीबी रहे सुधीर दिवे ने खुद को चुनाव से अलग कर दिया, लेकिन अंतिम चरण में पार्टी नेतृत्व से आदेश के बाद वे सक्रिय हो गए, जो भाजपा के पक्ष में मजबूत पहलू है।

कांबले को घर के चिराग से चुनौती !

देवली क्षेत्र में कांग्रेस के रंजीत कांबले मैदान में हैं। 1995 से देवली कांग्रेस का गढ़ रहा है। इस बार कांबले पांचवीं बार चुनावी मैदान में हैं। 2014 में वे मात्र 943 वोटों से चुनाव जीते थे। इस बार उनका मुकाबला भाजपा-शिवसेना गठबंधन के समीर देशमुख से है। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के करीबी रहे 38 वर्षीय समीर देशमुख ने चुनाव से कुछ दिन पहले शिवसेना का दामन थामा। देवली विधानसभा क्षेत्र में चार बार चुनाव जीत चुके कांबले के लिए निर्दलीय उम्मीदवार दिलीप अग्रवाल ने भी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। कांबले को अग्रवाल का बढ़ता कद परेशान करता जा रहा है।
क्या फिर खिलेगा हिंगनघाट में कमल

हिंगनघाट में भाजपा उम्मीदवार समीर कुणावार और राकांपा के राजू तिमांडे के बीच मुकाबला है। हिंगनघाट में 1995, 1999 में अशोक शिंदे ने चुनाव जीता। इसके बाद 2004 में राजू तिमांडे जीते, 2009 में फिर शिवसेना नेता शिंदे ने चुनाव जीता। 2014 में भाजपा के समीर कुणावार ने जीत हासिल की।
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