महाराष्ट्र में नए राजनीतिक समीकरण के संकेत, मनसे मुखिया से मिले पूर्व सीएम फडणवीस मोदी और भाजपा से रही है पुरानी दोस्ती राज ठाकरे ने 2006 में मनसे का गठन किया तो सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी शिवसेना को माना। उस समय भाजपा का शिवसेना से गठबंधन था। राज ठाकरे 2011 में गुजरात गए तो नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि मोदी किस तरह भ्रष्टाचार मुक्त और सक्षम सरकार चला रहे हैं, इसे जानने आए हैं। नौ दिवसीय दौरे के बाद दोनों ने एक-दूसरे की खूब तारीफ की। ठाकरे ने यहां तक कहा कि महाराष्ट्र को मोदी मॉडल से सीखना चाहिए। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में मनसे ने अपने उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा। ठाकरे ने शिवसेना के खिलाफ तो पूरी ताकत से चुनाव लड़ा, पर भाजपा के सामने प्रत्याशी नहीं उतारे।
गेटवे ऑफ इंडिया पर किसने लहराए फ्री कश्मीर के बैनर, पुलिस ने फिर किया यह इंतजाम मोदी सरकार के कई फैसलों पर उठाए सवाल मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ठाकरे को उनके कई फैसले नहीं भाए। नोटबंदी पर तो खुलकर विरोध किया। बुलेट ट्रेन पर भी निशाना साधा और इसे गुजरात को फायदा पहुंचाने वाला बताया। चीन के प्रधानमंत्री को गुजरात ले जाने का विरोध किया। रक्षा क्षेत्र के बड़े प्रोजक्ट्स को गुजरात ले जाने पर भी नाराजगी जताई थी। मोदी से नाराजगी इस कदर बढ़ी कि उन्होंने कहा कि वे देश के नहीं, गुजरात के पीएम लगते हैं। यही कारण था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने भले चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन प्रदेश में जाकर मोदी के खिलाफ प्रचार किया।
जेएनयू हिंसा के लिए एबीवीपी जिम्मेदार, भाजपा दफ्तर पर एनसीपी कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन उत्तर प्रदेश-बिहार में क्या जवाब देगी भाजपा आने वाले समय में उत्तर प्रदेश और बिहार के चुनाव आने वाले हैं। दोनों राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं। यदि महाराष्ट्र में भाजपा और मनसे का गठबंधन बनता है तो उत्तर प्रदेश और बिहार की जनता को क्या जवाब देंगे, क्योंकि प्रदेश में उत्तर भारतीयों को पिटवाने और खदेड़ने का काम राज ठाकरे और उनकी पार्टी मनसे ने किया था।