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विभाग की आंखमिचोली से किसान परेशान, मार्किट से अधिक मूल्य पर खरीदना पड़ रहा बीज

किसान परेशान (farmers in problem) : बीज निगम मंडल से कृषि प्रधान तहसीलों में नहीं आया बीज (seeds not available to farmers )

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Debtor farmer news khandwa

Debtor farmer news khandwa

लोरमी. सरकार किसानों का कर्जमाफी (farmers loan free) कर उनके लिए सौगात दी है तो दूसरी ओर उन्हीं किसानों के लिए प्रदेश में बीज का टोटा पड़ गया है। बीज निगम मंडल में इस वर्ष बीज नहीं होने से लोरमी विकासखण्ड सहित पूरे प्रदेश के कृषि प्रधान तहसीलों में बीज नहीं आया है। चर्चा है कि शासन ने इस योजना को ही बंद कर दिया है। जबकि पिछले वर्ष अरहर, तीली, धान, मक्का, सोयाबीन व उड़द की बोनी अब तक 75 प्रतिशत हो जानी थी। बीज नहीं मिलने से किसान हैरान परेशान हैं, क्योकि बुआई का समय निकलता जा रहा है। अब बीज भेज भी देगें तो वे कार्यालयों की शोभा बढ़ायेंगे।

मिली जानकारी के अनुसार पूरे प्रदेश में अप्रैल-मई महीने से बीज निगम मंडल के द्वारा सभी तहसीलों को बीज भेज दिया जाता था, जिसको लेकर किसान दलहन और तिलहन की खेती शुरु कर देते थी, लेकिन सरकार बदली तो सब कुछ बदल गया। पूर्व सरकार किसानों के लिए कई योजना चला रही थी, जिसमें अरहर, तीली, धान मक्का, सोयाबीन व उड़द की योजना प्रमुख थी, लेकिन इस सरकार ने सब बदल दिया, कई योजना को ही बंद कर दिया, तभी तो अभी तक बीज निगम मंडल से तहसीलों को बीज नहीं मिल पाया है। किसान प्रतिदिन बीज के लिए कृषि कार्यालयों का चक्कर काट रहे हंै। इधर अधिकारी बीज नहीं आने का हवाला देकर किसानों को जानकारी दे रहे हैं।

नहीं लगा कृषि मेला, और न ही की गई प्रदर्शनी: पूर्व सरकार ने किसानों के हितों के लिए एक से बढक़र एक योजना चलायी जा रही थी, जिस पर कृषि विभाग के अधिकारियों के द्वारा जगह-जगह कृषि प्रदर्शनी कर योजनाओं के बारे में जानकारी दी जाती थी, लेकिन सरकाल बदली और योजना ही बंद हो गया। इस वर्ष कहीं भी कोई प्रदर्शनी नहीं हुई है। किसानों को बीज 70-75 प्रतिशत के अनुदान पर मिल जाते थे, लेकिन इस वर्ष मंहगे दलहन-तिलहन की फसल के लिए बीज खरीदने में काफी पैसे देने पड़ रहे हैं।

निजी दुकानों से ऊंची कीमत पर बीज ले रहे किसान
बीज निगम मंडल रायपुर में बीज नहीं होने से लोरमी विकासखण्ड सहित पूरे प्रदेश के अन्य कृषि प्रधान तहसीलों में बीज नहीं पहुंचे हंै। लोरमी में भी बीज नहीं पहुंचा है, जो किसान उड़द, मूूंग, सोयाबीन, अरहर, तिल, मक्का व धान के बीज को निजी दुकान से ऊंची दामो में लेकर बुआई कर रहे है। लोरमी क्षेत्र में दलहन, तिलहन सहित अन्य फसल मिलाकर लगभग 8 से 10 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि पर इनकी खेती की जाती है, लेकिन विभाग से बीज नहीं मिलने से इनकी खेती करने वाले किसानों को आर्थिक रूप से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

ड्रिपिंग व पट्टी खेती योजना भी बंद
लोरमी विकासखण्ड में 38 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि पर धान सहित अन्य दलहन-तिलहन की खेती करते हंै। किसानों की आय बढ़ाने के लिए शासन एक से बढक़र एक योजना चलाती थी, जिसमें ड्रिपिंग एवं पट्टीदार खेती होती थी। इसमें किसानों को भूरा माहो लगने पर सरलता मिलती थी। खाद, बीज, दवाई डालने के लिए रास्ता, प्रकाश संशलेषण की क्रिया सहित खेत भी अच्छा दिखता था और उत्पादन भी बेहतर होता था। लेकिन इस योजना को भी बंद कर दिया है।

नहीं के बराबर मिल रहे है कृषियंत्र
कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पूर्व सरकार ने किसानों के लिए अनुदान के रूप में सस्ते दर पर कृषि यंत्र, नलकूप और सौर सुजला योजना देकर किसानों की आय दोगुनी करने के लिए राहत दे रही थी, लेकिन नवीन कांग्रेस सरकार को आए हुये 6 माह बीतने को है और न तो एक भी सौर सुजला मिला है और न ही कृषियंत्र और न ही नलकूप। किसान हैरान-परेशान हैं, उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

हाई ब्रीड धान के लिए भटक रहे किसान
बीच निगम मंडल के द्वारा इस वर्ष किसानों को देने के लिए किसी भी प्रकार से कोई लक्ष्य नहीं दिया गया है। न तो अरहर आयी है और न ही हाई ब्रीड धान, जिसके चलते किसान मजबूरीवश बाजार में बिक रहे ऊंचे दामों के बीज खरीद रहे है।

(Farmers problem in chhattisgarh)
बीज निगम मंडल सभी बीजों की सप्लाई करता है। इस वर्ष लक्ष्य नहीं आए। हम बीज कहां से उपलब्ध करायें। एक भी ब्लॉक में बीज नहीं आया है। अब आएगा भी तो कोई काम का नहीं रह जाएगा, क्योकि किसान काफी हद तक बोआई का काम कर चुके हैं।
जेएस खेंगर, प्रभारी एसडीओ, लोरमी