मुजफ्फरनगर

Video: राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से पुरुष्कृत इस बहादुर बेटी के हत्यारों को आज मिलेगी सजा, जानें क्या है पूरा मामला

खबर की खास बातें-

13 मार्च 2014 को बहादुर बेटी रिया हत्याकांड के आरोपी दोषी करार
बहादुरी का परिचय देते हुए रिया ने बचाई थी माता-पिता और ताऊ की जान
मरणोपरांत राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन मुख्यमंत्री ने नवाजा था वीरता पुरस्कार से

मुजफ्फरनगरJun 13, 2019 / 10:01 am

lokesh verma

Video: राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से पुरुष्कृत इस बहादुर बेटी के हत्यारों को आज मिलेगी सजा, जानें क्या है पूरा मामला

मुजफ्फरनगर. 13 मार्च 2014 को बहादुर बेटी रिया हत्याकांड में मुजफ्फरनगर कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। अदालत ने तीन हत्यारों को धारा 302, 307 और 452 में दोषी करार दिया है, जिसमें आज यानी गुरुवार को सजा सुनाई जाएगी। बता दें की रिया हत्याकांड मुजफ्फरनगर का चर्चित कांड रहा है, जिसमें परिवार के ही तीन सदस्यों ने थाना भोरा कला क्षेत्र के गांव मुंड़भर में किसान सुरेश के घर में घुसकर सुरेश के भाई चंद्रपाल की हत्या करने के इरादे से ताबड़तोड़ फायरिंग की थी।
उस दौरान सुरेश की बहादुर बेटी रिया अपने पिता और ताऊ की जान बचाते हुए हमलावरों के सामने आ गई थी। इस हमले में रिया की दर्दनाक मौत हो गई थी। अपने ताऊ-पिता और अपनी मां की जान बचाने वाली इस बहादुर बेटी को मरणोपरांत राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति पुरुष्कार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वीरता पुरस्कार के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश अखिलेश यादव की ओर से रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार से नवाजा गया था।
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दरअसल, मुजफ्फरनगर में थाना भोरा कला क्षेत्र के गांव मूंड़भर में 13 मार्च 2014 को जमीनी रंजिश को लेकर हुए रिया हत्याकांड में कोर्ट ने तीन हत्यारों सुनील, रोहतास और ललित को धारा 302, 307 और 452 में दोषी करार दिया है। अदालत गुरुवार को तीनों हत्यारों को सजा सुनाएगी। मृतका रिया के पिता सुरेश को पूरी उम्मीद है कि उसकी बेटी के हत्यारों को कम से कम फांसी की सजा मिलेगी।
ये है पूरा मामला

बता दें कि थाना भोरा कला क्षेत्र के गांव मुंडभर निवासी चंद्रपाल ने अपनी खेती की जमीन हत्यारों के परिजनों से लेकर दूसरे किसान को ठेके पर दे दी थी, जिससे नाराज हत्यारे चंद्रपाल की हत्या पर उतारू हो गए। 13 मार्च 2014 को सुबह चंद्रपाल अपने भाई सुरेश के घर आया हुआ था, जिसकी भनक हत्यारों को लग गई और वे ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए सुरेश के घर में घुस आए। जहां चंद्रपाल और उसका भाई सुरेश, सुरेश की पत्नी अनीता और बेटी रिया जो कि इंटर की परीक्षा की तैयारी कर रही थी मौजूद थे। हमलावरों ने रिया के ताऊ चंद्रपाल और पिता सुरेश पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी।
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पढ़ाई छोड़ भिड़ गई हमलावरों से

फायरिंग की आवाज सुनकर पढ़ाई कर रही रिया दौड़कर आई और अपने पिता व ताऊ को बचाते हुए हमलावरों के सामने आ खड़ी हुई और हमलावरों की गोली का शिकार हो गई। इस दौरान उसकी मां अनीता और पिता सुरेश भी जमीन पर गिर गए। इस हमले के बाद हॉस्पिटल ले जाते समय रिया की मौत हो गई। अपनी जान की बाजी लगाकर अपने पिता और अपनी मां की जान बचाने वाली इस बहादुर बेटी रिया की कहानी जो भी सुनता, उसके रोंगटे खड़े हो जाते थे। इसके बाद मामला मीडिया में आया और सरकार के कानों तक पहुंचा। रिया के परिजनों की ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मामला सीबीआई को ट्रांसफर हो गया। सीबीआई की ओर से कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने के बाद कई साल तक मुकदमा चलता रहा। बुधवार को कोर्ट का फैसला आया, जिसमें कोर्ट ने तीन हत्यारों सुनील, रोहतास और ललित को दोषी करार दिया है। अदालत आज यानी गुरुवार को दोषियों को सजा सुनाएगी।
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बेटी की बहादुरी को सभी ने सराहा

रिया हत्याकांड का मामला सरकार के कानों तक पहुंचा तो इस बहादुर बेटी को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने मरणोपरांत राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस बहादुर बेटी को वीरता पुरस्कार से तो उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बहादुर बेटी रिया को मरणोपरांत रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार से नवाजा। इसके अलावा भी बहादुर बेटी रिया के माता और पिता को बेटी की बहादुरी पर अनेक स्थानों पर सम्मान मिले।
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