नागौर

वीडियो : नागौर की इंजीनियर सुनिधि बनी कोरोना कर्मवीर, डॉक्टरों को संक्रमण से बचाने में महत्वपूर्ण कदम

कोरोना कर्मवीर - इंजीनियरिंग में पीएचडी स्कोलर सुनिधि ने चिकित्सकों के लिए बनाया सुरक्षा कवच- मिशन अंगेस्ट कोरोना में नागौर का एक और नवाचार

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Apr 04, 2020
engineer Sunidhi builds face shield to prevent corona infection

नागौर. कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम व बचाव को लेकर किए जा रहे प्रयासों को देखें तो राजस्थान में नागौर जिला रोल मॉडल बनकर उभरा है। बात चाहे लॉकडाउन की हो या फिर कोरोना से बचाव को लेकर आमजन में जागरुकता लाने की। नागौर में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने इसे लेकर कई नवाचार किए, जो आमजन में जागरुकता लाने के लिए कारगर साबित हुए हैं।

इसी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए नागौर जिले में इस बार चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टॉफ को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए एक और नवाचार हुआ है। इस बार यह नवाचार आईआईटी जोधपुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की शोधार्थी सुनिधि दायम ने किया है।
नागौर की इस होनहार बेटी सुनिधि ने राजकीय जेएलएन अस्पताल में कोरोना वायरस से संक्रमित संदिग्ध मरीजों की ओपीडी में जांच करने वाले तथा आईसोलेशन वार्ड में भर्ती मरीजों के उपचार में लगी चिकित्सकीय टीम के लिए ‘फेस शील्ड’ का निर्माण किया है, वो भी घर में। सुनिधि ने प्रायोगिक तौर पर दस मेडिकल फेस शिल्ड बनाए हैं और इन्हें अपने पिता राजकीय जेएलएन अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. शंकरलाल को सौंप दिया। पीएमओ डॉ. शंकरलाल ने यह फेस-शिल्ड कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर अस्पताल के ओपीडी व आइसोलेशन वार्ड में तैनात विशेषज्ञ चिकित्सक तथा उनकी टीम को वितरित भी कर दिया।

ऐसे बनाया फेस शिल्ड
आईआईटी, जोधपुर में इंजीनियरिंग की शोधार्थी सुनिधि ने बताया कि उन्होंने इस मेडिकल फेस शिल्ड के निर्माण में पतली प्लास्टिक ट्रांसप्रेंट शीट, फोम, डबल-साइडेड टेप तथा वैलकॉल टेप काम में लिया है। कई फेस शिल्ड में वैलकॉल टेप की जगह इलास्टिक का उपयोग किया गया है। इस मेडिकल फेस शील्ड में लगी पतली प्लास्टिक ट्रांसप्रेंट शीट को पहनने वाले व्यक्ति के चेहरे से थोड़ा लंबा रखा गया है ताकि उसे मॉस्क के ऊपर आसानी से पहना जा सके। एक फेस शील्ड में औसतन खर्च 45 से 50 रुपए आया है।

एक्सपर्ट ओपिनियन
राजकीय जेएलएन अस्पताल में कोरोना आइसोलेशन वार्ड के प्रभारी तथा चेस्ट फिजिशयन डॉ. राजेन्द्र बेड़ा ने सुनिधि दायम द्वारा बनाए गए इस फेस शील्ड को मेडिकली उपयोगी बताया है। डॉ. बेड़ा ने बताया कि इस फेस शिल्ड को मास्क पहने के बाद पहनने से कोरोना आइसालेशन वार्ड में मरीजों के उपचार के दौरान उनसे सीधे संपर्क में आने से बचा जा सकेगा। यानी मॉस्क के ऊपर फेस शिल्ड पहनने से चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टॉफ अपनी आंख, नाक, मुख तीनों को संक्रमण से बचा सकेंगे। साथ ही कोरोना ओपीडी में लगे चिकित्सकीय स्टॉफ के लिए वायरस संक्रमण से बचाव को लेकर कारगर साबित होगा।

सराहनीय व कारगर है नवाचार
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुकुमार कश्यप व उनकी टीम द्वारा जिला औषध भंडार में ही हैंड सेनेटाइजर का निर्माण करना, बेटियों द्वारा पिता को फोन करवाना, पैन को सेनेटाइजर के रूप में विकसित करना, सामाजिक दूरी रखने के लिए माचिस की तिल्लियों का उदाहरण प्रस्तुत करने के बाद अब जेएलएन अस्पताल के पीएमओ की बेटी सुनिधि द्वारा घर में ही मेडिकल फेस शिल्ड के निर्माण सरीखा नवाचार सराहनीय है। सामाजिक दूरी का सिद्धांत अपनाने के साथ-साथ हमें चिकित्सा सेवा को सुदृढ़ बनाए रखना भी जरूरी है। ऐसी विषम परिस्थितियों में डॉक्टर, नर्सिंग कर्मी, आशाएं सीमित साधनों के बावजूद दिन-रात देवदूत की तरह कोरोना रूपी दैत्य से मुकाबला कर रहे हैं। ये भी साधुवाद के पात्र हैं।
- दिनेश कुमार यादव, जिला कलक्टर, नागौर

Published on:
04 Apr 2020 11:05 am
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