गौरतलब है कि सरकारी चिकित्सकों की कमी का सर्वाधिक खमियाजा भी ग्रामीण क्षेत्रों को भुगतना पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी चिकित्सकों की कमी के कारण जहां झोलाछाप और नीम हकीमों की मौज है, वहीं आसपास के कस्बों में निजी अस्पताल भी मनचाहे दामों पर मनचाहा इलाज करने का मौका भुना रहे हैं।
नागौर जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय सें प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान में इस कार्यालय के अधीन स्वीकृत कुल 239 चिकित्सकों में से 56 पद काफी समय से रिक्त ही चल रहे हैं। वहीं चिकित्सालय प्रभारी के अनुसार जिला चिकित्सालय में भी कुल स्वीकृत 52 में से 13 पद खाली चल रहे हैं।
हालांकि महामारी काल में सरकार की तरफ से सारा दारोमदार भी चिकित्सा महकमे पर ही दर्शाया जा रहा था, लेकिन हकीकत कुछ और ही सामने आ रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राजस्थान में चिकित्सकों के रिक्त चल रहे पदों से दुगुने से अधिक संख्या में योग्यताधारी चिकित्सक अभ्यर्थी भी अपनी नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश सरकार है कि इस कोरोना महामारी के काल में भी उनको नियुक्ति नहीं दे रही है।
जिले में चिकित्सकों के काफी पद रिक्त चल रहे हैं। अगस्त माह में 25 पद पीजी में जाने वाले चिकित्सकों के कारण और खाली हो गए। तीन चिकित्सक अपने प्रोबेशन काल में भी पीजी पर चले गए हैं, जिनको नोटिस भी दे दिया है। साथ ही निदेशालय को भी सूचित किया है।
– डॉ. सुकुमार कश्यप, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, नागौर ।
प्रदेशभर में सरकारी चिकित्साधिकारियों के लगभग 2300 पद खाली चल रहे हैं और लगभग 4700 एमबीबीएस क्लियर डॉक्टर नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। जिनमें से कई तो 2015 से प्रतीक्षा में हैं। कोरा दिखावा नहीं करके इस महामारी के समय में सरकार को चाहिए कि नए चिकित्सकों को नियुक्ति दें।
– डॉ विकास बुड़ानियां, अध्यक्ष, अखिल राजस्थान बेरोजगार चिकित्सक संघ
चिकित्सकों के रिक्त पदों को जल्द ही भर दिया जाएगा। प्रोबेशन काल में ही नियम विरूद्द पीजी पर चले जाने वाले चिकित्सकों के खिलाफ नियमानुसार विभागगीय कार्यवाही की जाएगी।
– डॉ के.के. शर्मा, निदेशक, जन स्वास्थ्य