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नागौर

वीडियो : नागौर में बढ़ी टीबी मरीजों की संख्या, फिर भी नहीं है चिंता, जानिए क्यों?

टीबी रोगियों के उपचार के लिए सरकार ने किया सुविधाओं में इजाफा- टीबी रोगियों को लेकर सख्त हुआ चिकित्सा विभाग, निजी अस्पतालों को रिकॉर्ड रखने के निर्देश- टीबी रोगियों को हर माह मिलते हैं पांच सौ रुपए

नागौरMar 24, 2019 / 10:56 am

shyam choudhary

Tuberculosis

Number of TB patients increased in Nagaur

नागौर. जिले में टीबी रोगियों की संख्या में पिछले साल अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। वर्ष 2016 में जहां 2600 टीबी (क्षय रोग) मरीज थे, वहीं वर्ष 2017 में यह संख्या 2256 रह गई, लेकिन वर्ष 2018 में इसमें अचानक अप्रत्याशित वृद्धि हुई और टीबी मरीजों की संख्या 3898 पहुंच गई। यह संख्या सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों की थी, जबकि 1147 मरीज निजी अस्पतालों में भी आए। कुल टीबी मरीजों की संख्या देखें तो 5 हजार पार हो गई।
सरकार के स्तर किए जा रहे तमाम प्रयासों के बावजूद जिले में टीबी मरीजों की वृद्धि चिंता का विषय है, हालांकि चिकित्सा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मरीजों की संख्या में अचानक हुई वृद्धि के पीछे मुख्य कारण सरकार द्वारा मरीजों को अप्रेल 2018 से प्रति माह 500 रुपए पोषण भत्ता देना है। पहले मरीज निजी अस्पतालों में उपचार करवाते थे और उनका रिकॉर्ड चिकित्सा विभाग के पास नहीं पहुंच पाता था, लेकिन पोषण भत्ता शुरू होने के बाद एक तो मरीजों का झुकाव सरकारी अस्पतालों की ओर बढ़ा और दूसरी तरफ सरकार ने निजी अस्पताल संचालकों को भी टीबी मरीजों को लेकर काफी पाबंद किया है। खास बात यह है पोषण भत्ता सरकारी एवं निजी अस्पतालों में आने वाले दोनों मरीजों को दिया जा रहा है। जिले में यदि हम देखें तो अप्रेल 2018 के बाद अब तक 30 लाख 56 हजार 500 रुपए का भुगतान टीबी मरीजों को किया जा सकता है।
ये भी है मरीज बढऩे के कारण
जिले में टीबी मरीजों की संख्या में हो रही वृद्धि के पीछे कई अन्य कारण भी हैं, जिनमें टीबी मरीज को दवा देने से पहले निजी अस्पताल को उसका आधार कार्ड नम्बर लेना जरूरी है। दवा दुकानदार को भी पाबंद किया गया है कि वह डॉक्टर की पर्ची देखकर मरीज से जुड़ी पूरी जानकारी अपने रजिस्टर में संधारित करेगा। दवा दुकानदार हर महीने ड्रग इंस्पेक्टर के माध्यम टीबी विभाग को उनकी सूचना देंगे। जानकारी छिपाने पर दुकान के केमिस्ट व डॉक्टर को छह माह की जेल का प्रावधान किया गया है।
सीबी नेट मशीन से मिली सफलता
नागौर में जिला मुख्यालय सहित डीडवाना में सीबी नेट मशीन लगाई गई है, जिसकी सहायता से कफ की जांच हाथों हाथ हो जाती है और यह पता चल जाता है कि मरीज को किस केटेगरी की टीबी है, उसी के अनुरूप दवा शुरू कर दी जाती है, जबकि पहले कफ की जांच के लिए नमूने अजमेर भेजने पड़ते थे, जिसकी जांच आने में ही चार से पांच महीने लग जाते थे और उपचार शुरू करने में छह महीने लग जाते थे। नागौर में स्थापित सीबी नेट मशीन से वर्ष 2018 में 481 जांच की गई, जबकि वर्ष 2017 में 1154 तथा वर्ष 2018 में 2090 लोगों की जांच कर उन्हें उपचार दिया गया। यह आंकड़े बताते हैं कि जांच भी हर साल बढ़ती गई।
मिल रहा है बेहतर इलाज
जिले के टीबी मरीजों को बेहतर उपचार दिया जा रहा है। इसके लिए तीन साल पहले जिला मुख्यालय पर करीब 60 लाख रुपए की आधुनिक सीबी नेट मशीन स्थापित की गई, जिससे मरीजों के कफ की हाथों-हाथ जांच की जाती है। जांच के बाद यह पता चल जाता है कि मरीज को किस केटेगरी की टीबी है और कौनसा इलाज शुरू करना है। सीबी नेट मशीन लगाने के बाद काफी सुधार आया है और हाल ही डीडवाना में भी यह मशीन स्थापित कर दी गई है। साथ ही मरीजों को हर महीने पोषण भत्ता के रूप में 500 रुपए दिए जा रहे हैं।
– डॉ. श्रवण राव, प्रभारी, जिला क्षय निवारण केन्द्र, नागौर

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