Nagaur. सर्दी बढऩे से अब जीरा की उपज में अंकुरण की उम्मीद बढ़ी-बुआई कर चुके काश्तकारों में कई जगहों पर अंकुरण नहीं होने से परेशान होने लगे थे किसान-बुआई में कुचामन एवं मेड़तासिटी कृषि एरिया में मिलाकर 41 हजार हेक्टेयर में अब तक हुई जीरा की बुआई-निर्धारित लक्ष्य की अपेक्षा 67.77 प्रतिशत हो चुकी है जीरा की बुआई
नागौर. जीरे की उपज की बुआई करने वाले काश्तकारों को अब गिरते तापमान से राहत मिलने की उम्मीद बढ़ी है। अब तक जीरे की बुआई कर चुके काश्तकारों के खेतों में कई जगहों पर अपेक्षानुसार अंकुरण नहीं होने से उनकी परेशानी बढ़ गई थी। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कृषि विभाग की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा किया गया। इस दौरान जीरे में अपेक्षाकृत अंकुरण नहीं पाया गया। इससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है।
कृषि विभाग की ओर से जिले के कुचामनसिटी कृषि एरिया क्षेत्र में 12 हजार हेक्टेयर एरिया एवं मेड़तासिटी कृषि एरिया में 49 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। अब तक निर्धारित लक्ष्य की अपेक्षा कुचामन कृषि एरिया में महज 1239 हेक्टेयर एवं मेड़तासिटी कृषि एरिया में 41 हजार हेक्टेयर एरिया में जीरे की बुआई की जा चुकी है। इनमें कुचामन एरिया में लक्ष्य के औसत पांच प्रतिशत भी नहीं पहुंचने पर कृषि विभाग का मानना है कि इसके पहले मौसम जीरे के अनुकूल नहीं होने के कारण कइयों ने इसकी बुआई नहीं की, लेकिन पूरे नवंबर तक इसकी बुआई चलेगी। इसलिए कुचामन कृषि एरिया में भी जीरे की बुआई का रकबा बढ़ेगा। इसके अलावा डेगाना एवं कुचामन एरिया में कुछ जगहों पर बुआई के बाद भी अंकुरण नहीं होता देखकर अन्य काश्तकारों ने इसकी बुवाई नहीं की थी। अब पिछले चार से पांच दिनों के अंतराल में मौसम का तापमान गिरा है। इसलिए अब काश्तकार इसकी बुआई में निश्चित रूप से दिलचस्पी दिखाएंगे। हालांकि कृषि विभाग के अनुसार रबी की उपज में जीरे की बुआई का निर्धारित लक्ष्य की अपेक्षा 67.77 प्रतिशत प्राप्त कर लिया गया है। शेष बुआई लक्ष्य का रकबा भी प्राप्त कर लिया जाएगा।
इतना होना चाहिए तापमान
जीरा ठंडी जलवायु का फसल है। इसकी खेती रबी की मौसम में की जाती है। इसके लिए अधिकतम तापमान 30 सेंटीग्रेड और न्यूनतम 10 डिग्रीसेंटीग्रेड से कम नहीं होनी चाहिए। वर्तमान में चल रहा 29 से 30 डिग्री तक का तापमान होने पर भी जीरे के अंकुरण के अनुकूल ही रहेगा। फसल के पकने में हवा, पानी व तापमान आदि कारकों का सकारात्मक रहना जरूरी है। कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक गोपीचंद सिंह बताते हैं कि जीरे की बुआई में मौसम के साथ ही बीज की गुणवत्ता भी विशेष महत्व रखती है। बीज चार-पांच साल से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए। पुराना होने पर भी फिर अपेक्षानुसार अंकुरण नहीं हो पाता है। इसलिए अब मौसम के अनुकूल होने की वजह से भी अंकुरण की उम्मीदें बढ़ गई है।
देश में सबसे ज्यादा जीरा उत्पादन राजस्थान में
देश में जीरे के कुल उत्पादन में से करीब 55 प्रतिशत जीरा राजस्थान में होता है। बाड़मेर, जैसलमेर, सांचोर, जोधपुर, नागौर, जालौर, पाली जिले जीरे के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं। जबकि शेष 45 प्रतिशत जीरा गुजरात में होता है। क्वालिटी और गुणवत्ता के हिसाब से राजस्थान का जीरा अच्छा माना जाता है।
इनका कहना है...
जीरे बुआई के लिए वर्तमान में मौसम अनुकूल चल रहा है। पूर्व में मौसम थोड़ा गर्म था, लेकिन कुछ दिनों से तापमान का पारा गिरने से अब वातावरण जीरे के अनुकूल हो गया है। इसलिए जीरे की बुआई करने वाले काश्तकारों को डरने की जरूरत नहीं है।
हरीश मेहरा, उपनिदेशक कृषि विभाग नागौर
खैरवा गांव में रबी सीजन कि फसल बुवाई बाद खेत में किसान के साथ सहायक निदेशक कृषि विभाग शंकर राम सियाक