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एशियाई शेरों ने मैंग्रोव में बनाया नया ठिकाना, दुनिया में पहली घटना

अपने आप को खत्म होने से बचाने के लिए एशियाई शेर गुजरात के मैंग्रोव में बसने लगे है। जूनागढ़ स्थित बीकेएनएम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने साक्ष्य और विस्तृत खोज के आधार पर इस बात का दावा किया है।

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भारत

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Himadri Joshi

Oct 06, 2025

Asiatic lions

एशियाई शेर (फोटो- एएनआई)

एशियाई शेर खुद को खत्म होने से बचाने के लिए गुजरात के मैंग्रोव में बसने लगे हैं। मैंग्रोव समुद्र के किनारे कम गहराई वाले और ज्वारीय क्षेत्रों में उगे जंगल हैं। दुनिया में ऐसी पहली घटना के साक्ष्य और विस्तृत खोज रिपोर्ट वैज्ञानिकों ने पत्रिका से साझा किए और बताया कि मैंग्रोव में शेरों की आबादी भी बढ़ रही है। वन्य जीव वैज्ञानिक डॉ. निशिथ धारिया के अनुसार, इससे पहले भारत और अफ्रीका में समुद्र तटों के पास शेरों के मूवमेंट दर्ज हुए हैं। लेकिन अब एशियाई शेर गिर जंगलों से मैंग्रोव जंगलों में पहुंच गए हैं।

जनवरी से जून 2024 के बीच साइन-सर्वे डाटा जुटाया

जूनागढ़ स्थित बीकेएनएम विश्वविद्यालय के वन्यजीव शोध पर बने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के निदेशक डॉ. निशिथ ने बताया कि उनकी टीम गुजरात के दक्षिण-पूर्वी तटों पर मैंग्रोव में वन्य जीव गतिविधियों का सर्वे कर रही थी। इस दौरान इत्तेफाक से मैंग्रोव में शेर होने के संकेत मिले। उन्होंने अपनी टीम के सदस्यों विशाल पटेल और खुशबू सिंगला के साथ जनवरी से जून 2024 के बीच साइन-सर्वे डाटा जुटाया। इसमें पद चिह्न, स्क्रैच मार्क, ट्रैक आदि शामिल होते हैं।

कैमरा ट्रैपिंग से पुख्ता हुआ दावा

सौराष्ट्र प्रायद्वीप में काठियावाड़ के ग्रेटर गिर लैंडस्केप में मौजूद यह मैंग्रोव गिर अभयारण्य व नेशनल पार्क के बाहर हैं। यहां साइन-सर्वे के आधार पर शेरों की तलाश शुरू हुई। पूर्व में प्रायद्वीप के दक्षिण पश्चिम तटों के निकट 20 और दक्षिण पूर्वी तटों के पास 67 शेर दर्ज हुए थे। वैज्ञानिकों ने 10 जगह 10-10 दिन के लिए कैमरा ट्रैप लगाए। इन्हें 15-15 दिन के अंतराल पर तीन बार बदला।

शेरों की 45 तस्वीरें सामने आईं

कैमरा ट्रैप से मैंग्रोव जंगलों में शेरों की 45 तस्वीरें सामने आईं। वे आराम करते और घूमते नजर आए। इनके आधार पर 4 शेरों को विशिष्ट तौर पर पहचाना भी गया। तस्वीरें यह बताने का अहम साक्ष्य साबित हुईं कि शेरों ने मैंग्रोव को अपना नया घर बना लिया है। गिर में शेर बढ़े तो उनमें क्षेत्र, शिकार व संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा भी बढ़ी। अब वे शांत मैंग्रोव जंगलों में अपने इलाके बना रहे हैं। मानवीय हस्तक्षेप व संघर्ष से भी बच रहे हैं।

चुनौतियों के बीच नया भविष्य

मैंग्रोव में शेरों को ताजे पानी व शिकार की कमी हो सकती है। फिर भी यह शेरों के लिए यह नया पारिस्थितिकी तंत्र साबित हो सकते हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि इस बारे विस्तृत अध्ययन की जरूरत है। उन्हीं के परिवार के बाघ भी करीब छह हजार साल पहले सुंदरबन मैंग्रोव में अपने घर बना चुके हैं, जहां आज उनकी एक बड़ी आबादी रॉयल बंगाल टाइगर बनकर रह रही है।