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बाटला हाउस मुठभेड़, 10 बिंदुओं से समझिए पूरी कहानी

Batla House Encounter : 2008 से 2023। 15 साल बीत चुके हैं लेकिन जब भी बाटला हाउस मुठभेड़ की बात होती है। तमाम रक्तरंजित तस्वीरें नुमाया हो जाती हैं।

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Batla House Encounter : 2008 से 2023। 15 साल बीत चुके हैं लेकिन जब भी बाटला हाउस मुठभेड़ की बात होती है। तमाम रक्तरंजित तस्वीरें नुमाया हो जाती हैं। यह बात 13 सितंबर 2008 की है। दिल्ली के कनॉट प्‍लेस, ग्रेटर कैलाश सेक्टर एक और करोल बाग के गफ्फार बाजार में एक के बाद एक बम धमाके हुए थे। इसमें 30 लोगों की मौत हो गई थी और 130 लोग घायल हो गए थे। दिल्ली पुलिस की सक्रियता से कुछ बम समय रहते निष्क्रिय कर लिए गए थे। इसी जिम्मेंदारी आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन ने ली थी। यह संगठन गुजरात दंगों के बाद अस्तित्व में आया था। बम धमाके के बाद तहकीकात शुरू हुई तो फिर पूरी ट्रेल भी सामने आने लगी...


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19 सितंबर 2008 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को सूचना मिली कि बम धमाकों के आतंकी जामिया नगर के बाटला हाउस में हैं।

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दिल्ली पुलिस की सात सदस्यों की टीम बाटला हाउस की L-18 नंबर इमारत में पहुंचती है पुलिस से घिरा देख आतंकी गोली चलाना शुरू कर देते हैं।

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दिल्ली पुलिस इस मुठभेड़ में दो आतंकी मारे जाते है और दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा शहीद हो जाते हैं।

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बाटला हाउस मुठभेड़ में आतंकी आरिज खान और शहजाद अहमद भाग जाते हैं। यहां से आरिज नेपाल पहुंच जाता हैं और मोहम्मद सलीम नाम से जाली पासपोर्ट बनवा 2014 में सऊदी अरब भाग जाता है।

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उत्तर प्रदेश के आतंकरोधी दस्ते ने शहजाद अहमद को 2010 में आजमगढ़ से गिरफ्तार किया गया था। शहजाद की जनवरी 2023 में जेल में ही मौत हो गई।

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आतंकी आरिज खान फरवरी 2018 में सऊदी अरब से भारत आता है। दिल्ली पुलिस को एक खुफिया सूचना मिलती है और उसे भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार कर लिया जाता है।

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आतंकी आरिज खान पर इंडियन मुजाहिदीन का सदस्य है। इसी संगठन ने बम धमाकों की जिम्मेंदारी ली थी। आरिज बाटला हाउस मुठभेड़ में इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा की हत्या का दोषी है।

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यह वही कांड है जिसे लेकर कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने बयान में कहा कि सोनिया गांधी को इन तस्वीरों को देखकर रोना आ गया था। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने 17 अक्टूबर 2008 को मुठभेड़ को फर्जी बताया था।

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बाटला हाउस आतंकी मुठभेड़ में मारे गए मोहनचंद शर्मा दिल्ली पुलिस की स्पेशल के इंस्पेक्टर थे। 1989 में सेवा में और छह साल में ही प्रमोशन देकर उन्हें इंस्पेक्टर बना दिया गया। दिल्ली पुलिस में अशोक चक्र से सम्मानित वह एकमात्र व्यक्ति हैं।


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कब क्या हुआ?

अप्रैल 2010: कोर्ट में आरोपपत्र दायर कर मुठभेड़ को दिल्ली बम धमाकों से जुड़ा बताया गया।
15 फरवरी 2011: कोर्ट ने शहजाद पर आरोप तय किए गए।
20 जुलाई 2013: कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रखा।
25 जुलाई 2013: कोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर हमला और हत्या का दोषी ठहराया।
30 जुलाई 2013: कोर्ट ने शहजाद को उम्रकैद की सजा सुनाई।
08 मार्च 2021: कोर्ट ने आरिज खान को दोषी ठहराया।