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बैंक को 1.5 करोड़ रुपये का चूना लगा पंजाब से फरार हुआ था व्यापारी, 13 साल बाद सीबीआई ने केरल से पकड़ा

धोखाधड़ी मामले में फरार एक केरल के व्यापारी को सीबीआई ने 13 साल के लंबे प्रयास के बाद गिरफ्तार किया है।

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भारत

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Himadri Joshi

Sep 21, 2025

(प्रतिकात्मक तस्वीर)

(प्रतिकात्मक तस्वीर)

पंजाब में 1.5 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के घोषित अपराधी को सीबीआई ने 13 साल के लंबे प्रयास के बाद केरल के कोल्लम से गिरफ्तार कर लिया है। सीबीआई के एक अधिकारी ने रविवार को बयान देते हुए बताया कि सीबीआई ने तकनीकी निगरानी के जरिए 18 सितंबर को कोल्लम के कुलक्कड़ा पंचायत से आरोपी सुरेंद्रन जे. को गिरफ्तार किया था।

जुलाई 2010 में की थी ठगी

सीबीआई के अनुसार, कोल्लम स्थित स्टिच एंड शिप कंपनी के मालिक सुरेंद्रन और अन्य पर जुलाई 2010 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बैंक ऑफ इंडिया, लुधियाना से जाली और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 1.5 करोड़ रुपये की विदेशी बिल खरीद ऋण सुविधा प्राप्त करने के आरोप में मामला दर्ज किया था। इस षड्यंत्र का मुख्य साजिशकर्ता आरोपी सुरेंद्रन जे. था। सुरेंद्रन जे. और एक अन्य के खिलाफ पंजाब के मोहाली के एसएएस नगर स्थित एक विशेष सीबीआई अदालत में पहले ही आरोप पत्र दायर किया जा चुका था।

2012 में अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित किया

सुरेंद्रन पहले मुकदमे में शामिल नहीं हुआ था, जिसके बाद 2012 में अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था। सीबीआई ने बताया कि उसे पकड़ने के लगातार प्रयासों के बावजूद वह लंबे समय तक फरार रहा, जिसके बाद हाल ही केरल के कोल्लम जिले में उसकी लोकेशन ट्रेस की गई, और फिर वहां से उसे गिरफ़्तार कर लिया गया। सीबीआई ने एक बयान में कहा कि सुरेंद्रन की गिरफ्तारी के तुरंत बाद, उसे शुक्रवार को तिरुवनंतपुरम के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया।

शनिवार को सीबीआई अदालत में पेश किया गया

अदालत ने सीबीआई की ट्रांजिट रिमांड देने की अर्जी स्वीकार कर ली ताकि उसे पंजाब के मोहाली स्थित विशेष सीबीआई अदालत में पेश किया जा सके। सीबीआई के अनुसार, घोषित अपराधी को शनिवार को मोहाली स्थित विशेष सीबीआई अदालत में पेश किया गया जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। सुरेंद्रन ने निर्यातकों को अक्सर दी जाने वाली ऋण सुविधा का इस्तेमाल करके बैंक को चूना लगाया। उसने विदेशी खरीदारों से भुगतान का इंतजार करते हुए निर्यातकों को उनकी नकदी प्रवाह की जरूरतों को पूरा करने में मदद के लिए दी जाने वाली विदेशी बिल खरीद (एफबीपी) से जुड़ी अल्पकालिक ऋण सुविधा के लिए जाली दस्तावेज दिए थे।