Good news for home buyers: इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (आईबीबीआई) ने घर खरीदारों को बड़ी राहत दी है।
Good news for home buyers: इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (आईबीबीआई) ने घर खरीदारों को बड़ी राहत दी है। आईबीबीआई ने नियमों में बदलाव करते हुए कहा है कि अगर बिल्डर दिवालिया हो गया है या उसके प्रोजेक्ट के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया चल रही है तो भी फ्लैट, प्लॉट, अपार्टमेंट या बिल्डिंग का कब्जा लिया जा सकता है। इससे लोगों को संपत्ति का कब्जा मिलने में देरी नहीं होगी।
आईबीबीआई का कहना है कि नियमों में बदलाव से कॉरपोरेट इन्सॉल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोसेस (सीआईआरपी) के दौरान प्रोजेक्ट को जारी रखा जा सकेगा और खरीदारों को घर का कब्जा दिया जा सकेगा। यह बदलाव कब्जा लेने-देने से जुड़ा है। इसका दिवालिया प्रक्रिया पर कोई असर नहीं होगा। अब तक दिवालिया प्रक्रिया में क्रेडिटर्स (कर्ज देने वालों) का ज्यादा प्रभाव होता था, लेकिन अब घर खरीदारों को भी महत्त्वपूर्ण पक्ष माना जाएगा, ताकि वे अपनी संपत्ति को लेकर ज्यादा सुरक्षित महसूस कर सकें।
अब खरीदारों के लिए फैसिलिटेटर नियुक्त किए जाएंगे। इससे उनके और इन्सॉल्वेंसी प्रोसेस के बीच बेहतर संवाद हो सकेगा। खरीदारों को समय-समय पर जरूरी जानकारी और फैसले करने में मदद मिल सकेगी।
सरकारी एजेंसियां भी सर्कल ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) की बैठकों में शामिल हो सकेंगी। इससे सुनिश्चित किया जाएगा कि रेजोल्यूशन प्लान जमीन और प्रोजेक्ट से जुड़े नियमों का पालन कर रहा है। इससे प्रोजेक्ट की वैधता और विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।
रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल को इन्सॉल्वेंसी शुरू होने के 60 दिन में रिपोर्ट देनी होगी। इसमें बताया जाएगा कि प्रोजेक्ट को लेकर क्या-क्या मंजूरी मिली हैं। इससे सुनिश्चित किया जाएगा कि बिना पूरी जानकारी गलत फैसले न किए जाएं और प्रोजेक्ट समय पर पूरा किया जा सके।
खरीदार और उनके एसोसिएशन भी रिजॉल्यूशन एप्लिकेंट के रूप में भाग ले सकते हैं। उनके लिए योग्यता और सिक्योरिटी डिपॉजिट से जुड़े नियमों में ढील दी गई है। अगर कोई बाहरी डेवलपर प्रोजेक्ट में रुचि नहीं लेता है तो होमबायर्स खुद प्रोजेक्ट को पूरा करने की कोशिश कर सकते हैं।
कॉरपोरेट डिफॉल्टर का एमएसएमई स्टेटस (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग) सार्वजनिक किया जाएगा। इससे ज्यादा से ज्यादा लोग प्रोजेक्ट में भाग ले सकेंगे। उन्हें एमएमएमई से जुड़े फायदे मिलेंगे।
रियल एस्टेट डेटा एनालिटिक्स फर्म प्रॉपइक्विटी की रिपोर्ट से पता चला है कि पिछले आठ साल में देशभर में निर्माणाधीन पांच में से एक घर का निर्माण कार्य रुका हुआ है। इससे पांच लाख से अधिक आवासीय इकाइयां प्रभावित हुईं। निर्माणाधीन पांच में से शेष चार मकान भी 3-4 साल की देरी से दिए गए।
8 साल में 44 शहरों में 1981 परियोजनाएं ठप।
508,202 हुई जुलाई 2024 में ठप पड़ी इकाइयों की संख्या।
465,555 था 2018 में यह आंकड़ा।
9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई छह साल में।
बेंगलूरु - 225
मुंबई - 234
नवी मुंबई - 125
ग्रेटर नोएडा - 167
गुरुग्राम - 158
भिवाड़ी - 33
भोपाल - 27
जयपुर - 37
लखनऊ - 48
नागपुर - 23
रायपुर - 4