
बच्चों में बढ़ रहा आत्महत्या का आंकड़ा (AI Image)
माता-पिता अपने बच्चों को 'परफेक्ट' बनाना चाहते हैं। इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन, जब परफेक्शन के रास्ते में आने वाले हर गतिरोध के प्रति 'जीरो टॉलरेंस' की नीति सिखाकर माता-पिता और स्कूल सब छुट्टी पर चले जाते हैं- तब समस्या पैदा होने लगती है। मेधावी बच्चे अपने माता-पिता के सपने को साकार करने में इस तरह लग जाते हैं कि 'परफेक्शन' के रास्ते में आने वाली छोटी-सी बात भी उन्हें हताश करने लगी है। उस समय उनके साथ कोई नहीं होता। न माता-पिता, न शिक्षक और न ही कोई दोस्त। हाल ही में ऐसे कई मामले आए हैं जिनमें क्लास टॉपर, ऑलराउंडर और सबके फेवरेट बच्चे ने अचानक 'एक्स्ट्रीम स्टेप' उठाते हुए आत्महत्या का रास्ता चुन लिया।
देश में बच्चों की आत्महत्या से जुड़ा आंकड़ा भयावह है। राष्ट्रीय अपराध रेकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के 2023 के आंकड़ों के मुताबिक हर दिन 30 बच्चे अपनी जान ले रहे हैं, साल भर में कुल 13,892 मामले दर्ज हुए। आखिर इसकी क्या वजह है- जानने के लिए पत्रिका मनोचिकित्सक और समाजशास्त्रियों से चर्चा की। उन्होंने बताया कि छोटी-छोटी अस्थाई बातों को बच्चे अब अपने अस्तित्व पर हमला मानने लगे हैं। इसके लिए अभिभावक और स्कूल दोनों बराबर के जिम्मेदार है।
जयपुर की बाल मनोचिकित्सक डॉ. पूनम गर्ग का मानना है कि आजकल मेधावी बच्चों में विकसित हो रही मानसिकता अपने परफेक्ट जीवन में किसी भी तरह की असफलता, आलोचना या प्रतिकूल स्थिति के प्रति 'जीरो टॉलरेंस' रखती है। ये बच्चे अपनी सफलता की एक आदर्श छवि बना लेते हैं। जब कभी कुछ गलत होता है जैसे परीक्षा में कम अंक आना, दोस्तों से झगड़ा या माता-पिता की डांट तो वे इसे सिर्फ एक अस्थायी समस्या की तरह नहीं लेते। उनके लिए यह उनके पूरे अस्तित्व और पहचान पर हमला बन जाता है, एक ऐसी विफलता जो उन्हें अस्वीकार्य लगती है। वे एक अस्थाई समस्या का स्थाई समाधान खोजने लगते हैं। यही कारण है कि एक 'वीक मोमेंट' में ये बच्चे ऐसे गलत निर्णय ले लेते हैं।
राजस्थान की अमायरा
जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल में 1 नवंबर 2025 की सुबह कक्षा 4 की छात्रा अमायरा (9 वर्ष) ने स्कूल की चौथी मंजिल से छलांग लगाकर अपनी जान दे दी। बच्ची के परिजनों का आरोप है कि कुछ लड़कों के अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करने से आहत होकर उसने यह कदम उठाया। अमायरा पढ़ाई में तो अव्वल थी ही, को-करिक्यूलर एक्टिविटी में भी बेहतरीन थी। हाल ही में स्कूल के एनुअल फंक्शन में उसे ऑल-राउंडर अवार्ड मिला था। साथी उसे अपनी 'बेस्ट बडी' बताते हैं और 1 नवंबर की सुबह वह स्कूल पहुंचकर सबसे हंसी-खुशी मिली थी, डांस क्लास भी गई थी।
तेलंगाना का सांगा रेड्डी
तेलंगाना के उप्पल में 22 फरवरी 2025 को कक्षा 8 के छात्र सांगा रेड्डी (14) ने स्कूल की चौथी मंजिल से छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली। सांगारेड्डी पढ़ाई में अच्छे थे और हमेशा खुश रहते थे। परिवार के अनुसार, शारीरिक शिक्षक ने सीसीटीवी कैमरे की दिशा बदलने की गलती पर उन्हें क्लास के सामने डांटा और तथाकथित एक थप्पड़ मार दिया। सहपाठियों की हंसी से आहत होकर सांगारेड्डी ने शौचालय जाने की अनुमति ली और तुरंत यह कदम उठा लिया। दोस्तों ने बताया कि वह स्कूल के खेल आयोजनों में भी सक्रिय रहते थे।
त्रिपुरा की त्रिशा मजूमदार
त्रिपुरा के बेलोनिया के बरपाथारी सोनापुर हायर सेकेंडरी स्कूल में 27 जुलाई 2025 को कक्षा 10 की छात्रा त्रिशा मजूमदार (15) ने आत्महत्या कर ली। त्रिशा पढ़ाई में उत्कृष्ट थी, कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करती थी और बायोलॉजी की टॉपर थी। बायोलॉजी की ही शिक्षिका ने एक टेस्ट में अंतिम प्रश्न के लिए अलग पेन इस्तेमाल करने पर नकल का आरोप लगाकर उनकी उत्तर पुस्तिका फेंक दी और क्लास में डांट लगाई। इससे आहत त्रिशा ने स्कूल से घर पहुंचकर कीटनाशक पी लिया।
Published on:
17 Nov 2025 09:19 am
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