भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चीफ एस. सोमनाथ की ऑटोबायोग्राफी पर विवाद गहराता जा रहा है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चीफ एस. सोमनाथ ने चंद्रयान-3 की सफतला में अहम भूमिका थी। उन्होंने पूर्व इसरो चीफ के. सिवन पर एक आरोप लगाया है, जिस वजह से हंगामा मच गया है। आरोप लगाने की यह खबर दक्षिण भारत में प्रकाशित होने वाली एक अख़बार में छपी है। जिसमें एस. सोमनाथ ने कहा, 'के. सिवन ने उनके इसरो प्रमुख बनने में बाधा डाली थी। वो नहीं चाहते थे कि मैं (सोमनाथ) इसरो चीफ बनूं। मौजूदा इसरो चीफ ने यह आरोप अपने जीवन पर आधारित किताब 'निलावु कुडिचा सिम्हंल' में लगाया है। लेकिन प्रकाशन से पहले ही उनकी आत्मकथा को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है जिस वजह से परेशान भारतीय सोमनाथ ने पुस्तक की औपचारिक रिलीज टालने का फैसला किया है। सोमनाथ ने बताया, "किताब अभी तक प्रकाशित नहीं हुई है। मुझे लगता है कि कुछ समीक्षा प्रतियां प्रेस द्वारा देखी गई हैं। मैं इसकी रिलीज रोक रहा हूं, क्योंकि अनावश्यक विवाद पैदा हो गया है। पुस्तक का उद्देश्य युवाओं को संघर्षों को देखने और उनसे उबरने के लिए प्रेरित करना है।''
क्या बोले सोमनाथ
सोमनाथ ने आगे बताया कि उन्होंने मीडिया के सामने इस किताब के उन अंशों को उजागर किया है जो एक छोटा सा हिस्सा है। सोमनाथ ने एक समाचार रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा, "मैं शीर्ष पर जाने के दौरान आने वाली चुनौतियों को उजागर करने की कोशिश कर रहा था। ताकि लोग जल्द हिम्मत न हारें या हार न मानें। मेरे कहने का मतलब यह नहीं है कि डॉ. के. शिवन ने मुझे रोका या बाधित किया। मैं लेख की व्याख्या से असहमति जताता हूं।''
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क्या इसमें संसोधन किया जाएगा
जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या वह अपनी आत्मकथा के उन हिस्सों में बदलाव करेंगे जिनके कारण विवाद पैदा हो रहा है, तो उन्होंने कहा, "फिलहाल मैं प्रकाशित नहीं कर रहा हूं।" बता दे कि एस. सोमनाथ ने अपनी ऑटोबायोग्राफी 'निलावु कुदिचा सिम्हंगल' में इस बात का जिक्र किया है कि इसरो अध्यक्ष बनने के बाद डॉ. के. सिवन ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक के रूप में डॉ. सोमनाथ की प्रोमोशन में देरी की थी। लेकिन बाद में पूर्व निदेशक बी.एन. सुरेश के हस्तक्षेप के बाद ही उन्हें प्रोमोशन मिला।
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