दंपती की पहले से एक बेटी है। ट्रस्ट ने दंपती को बच्चे के व्यवहार को समझने के लिए काउंसलिंग का सुझाव दिया, ताकि बच्चे के बर्ताव में सुधार के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकें। डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट ने दंपती के बच्चे को साथ न रख पाने की असमर्थता के पहलू की पड़ताल की। काउंसलिंग में बच्चे के अधिक खाने के व्यवहार का खुलासा हुआ। दंपती ने बच्चे के कूड़ेदान से खाना उठाने की बात भी बताई। बच्चे के ब्लड टेस्ट में पता चला कि वह लेप्टिन और डायबिटीज की बॉर्डर लाइन पर है। डॉक्टरों के मुताबिक बच्चा मोटापे और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से पीडि़त हो सकता है।
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पुलिस को मिला था
काउंसलिंग के दौरान पता चला कि दंपती का बच्चे से कोई भावनात्मक लगाव नहीं है, लेकिन बच्चे का उनसे जुड़ाव है। दपंती के हलफनामे के साथ ट्रस्ट ने अडॉप्शन रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। अडॉप्शन में दिया गया बच्चा पुलिस को मिला था। उसे बाल आशा ट्रस्ट को सौंप दिया गया था।
दोबारा अडॉप्शन के लिए होगा पंजीकृत
हाईकोर्ट के जस्टिस रियाज छागला ने सभी रिपोर्ट और हलफनामे पर गौर करने के बाद अडॉप्शन के 17 अगस्त, 2023 के आदेश को रद्द कर दिया। साथ ही अडॉप्शन एजेंसी को बच्चे को दोबारा अडॉप्शन के लिए पंजीकृत करने का निर्देश दिया।