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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, वसीयत किए बिना पिता की मृत्यु हो जाने पर भी बेटियों का संपत्ति में हक

बेटियों के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट बड़ा फैसला दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि एक हिंदू पुरुष की वसीयत के बिना मरने वाली बेटियां पिता की ओर से स्व-अर्जित और अन्य संपत्तियों के उत्तराधिकारी की हकदार होंगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी बेटियों का हक चचेरे भाईयों से ज्यादा होगा।

Jan 21, 2022 / 12:36 pm

धीरज शर्मा

Daughters to Inherit Father Properties who Dies Without Will Says Supreme Court

Daughters to Inherit Father Properties who Dies Without Will Says Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने पिता की संपत्ति पर बेटों के बराबर ही बेटियों के अधिकार का दायर और बढ़ा दिया है। कोर्ट ने एक अहम फैसले के जरिए यह सुनिश्चित किया है कि, किसी हिंदू व्यक्ति की बगैर वसीयत किए मृत्यु हो जाती है तो उसकी स्वअर्जित व अन्य संपत्तियों में उसकी बेटियों को हक मिलेगा। इतना ही नहीं बेटियों को पिता के भाइयों के बच्चों की तुलना में संपत्ति में वरीयता मिलेगी। यानि चेचेरे भाईयों के मुकाबले प्राथमिकता बेटी को दी जाएगी। शीर्ष अदालत के जस्टिस एस अब्दुल नजीर और कृष्ण मुरारी की बेंच ने यह फैसला सुनाया है।
1956 से पहले के मामलों में भी मिलेगा अधिकार

जजों ने कहा कि जमीन-जायदाद से जुड़े उत्तराधिकार के 1956 से पहले के मामलों में भी बेटियों को बेटों के बराबर ही अधिकार होगा। अगर किसी जमीन-जायदाद के मालिक की मृत्यु वसीयत लिखने से पहले हो गई है तो उसकी स्वअर्जित-संपत्ति उत्तराधिकार के सिद्धांत के तहत उसकी संतानों को मिलेगी। ऐसे में वो बेटा हो या फिर बेटी दोनों के समान अधिकार होंगे।

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शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसी संपत्ति उत्तरजीविता के नियम के मुताबिक मरने वाले के भाईयों या अन्य सगे-संबंधियों को हस्तांतरित नहीं की जा सकेगी। फिर चाहे वह व्यक्ति अपने जीवनकाल में संयुक्त परिवार का सदस्य ही क्यों न रहा हो।
जस्टिस एस. अब्दुल नजीर व जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने 51 पृष्ठ के फैसले में यह बात कही है। जजों ने कहा कि मृत पिता की संपत्ति का बंटवारा उसके बच्चों की ओर से आपस में किया जाएगा।
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बगैर वसीयत के महिला की मौत पर भी फैसला


सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी साफ किया कि किसी हिंदू महिला की बगैर वसीयत किए मृत्यु हो जाती है तो, जो संपत्ति उसे अपने पिता या माता से विरासत में मिली है, वह उसके पिता के वारिसों को मिलेगी। यानी महिला के सगे भाई-बहनों व अन्य उस संपत्ति का बंटवारा होगा।

इसके अलावा जो संपत्ति उसे अपने पति या ससुर से मिली है, वह उसके पति के वारिसों यानी खुद के बच्चों व अन्य को मिलेगी।

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